इस आयु वर्ग के कर्मचारी होते हैं सबसे ज्यादा तनाव में, स्टडी रिपोर्ट में खुलासा

एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक 21-30 आयु वर्ग के कर्मचारियों को काम का सबसे ज्यादा तनाव होता है। वहीं 41 से 50 आयु वर्ग के कर्मचारी तनाव मुक्त रहते है।  

Yatish Srivastava | Published : Jul 19, 2024 3:40 AM IST / Updated: Jul 19 2024, 10:19 AM IST

बिजनेस डेस्क। ऑफिस में काम के तनाव से आज के दिनों में ज्यादातर कर्मचारी जूझ रहे हैं। ऑफिस से घर पहुंचने के बाद भी काम का तनाव बना रहता है। इसे लेकर की गई स्टडी में बताया गया है कि 21 से 30 वर्ष की आयुवर्ग वालों को काम का सबसे अधिक तनाव होता है। जबकि 41 से 50 आयुवर्ग के एज ग्रुप वाले कर्मचारी काफी तनावमुक्त होकर काम करते हैं। 

पांच हजार कर्मचारियों पर किया सर्वे
भारत में हाल ही में कर्मचारियों के विभिन्न आयुवर्ग के लोगों पर एक एक स्टडी की गई है। मेंटल एंज इमोशनल वेलनेस कंपनी ‘योर दोस्त’  की ओर से की गई स्टडी ने 5000 से अधिक कर्मचारियों पर एक सर्वे किया है। इस सर्वे में यह स्टडी की गई है कि किस एज ग्रुप के एम्ल्यॉई को काम का सबसे ज्यादा प्रेशर होता है। जांच में ये भी पता चला है कि किस एज ग्रुप के कर्मचारी सबसे तनावमुक्त रहते हैं। 

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इस आयुवर्ग के कर्मचारियों को सबसे अधिक तनाव
कर्मचारियों को लेकर की गई स्टडी में सामने आया है कि 21 से 30 वर्ष के कर्मचारियों पर काम का प्रेशर काफी अधिक होता है। इस कारण वह अधिक तनाव में रहते हैं। इसके बाद 31 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के कर्मचारियों की बात करें यह दूसरा सबसे अधिक तनाव में रहने वाला एज ग्रुप है। इसमें 59.18 प्रतिशत कर्मचारी खासा तनाव में रहते हैं। जबकि 41 से 50 वर्ष की आयु के कर्मचारी सबसे अधिक तनावमुक्त होते हैं। उन्हें काम का प्रेशर बहुत कम होता है।

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‘योरदोस्त' के मुख्य मनोविज्ञान अधिकारी डॉ जिनी गोपीनाथ के मुताबिक वर्क प्लेस की शिफ्ट में बदलाव, हाइब्रिड कार्य मॉडल के डेवलपमेंट ने 21-30 आयु वर्ग काफी पर प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा है कि संगठनों को काम के रेगुलर कम्यूनिकेशन और पार्टिसिपेशन को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे सर्वेक्षण से हमें कर्मचारियों की  वास्तविक स्थिति के बारे में पता चलता है। 

महिला कर्मचारियों को अधिक तनाव
सर्वेक्षण में पाया गया है कि काम के दौरान महिला कर्मचारियों को अधिक तनाव रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं का प्रेशर अधिक लेती हैं। इस कारण कई बार बीमारियों का शिकार भी हो जाती हैं।

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