
Tax on Online Payment Received : आजकल चाय, सब्जी, दूध से लेकर मेड और ट्यूटर तक हर किसी को हम पेटीएम, गूगल पे या फोनपे से पैसे भेजते हैं। 100-200 रुपए की ये छोटी-छोटी रकम हमें मामूली लगती है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि यही पेमेंट अगर हर दिन हो रहा है तो सालभर में लाखों में पहुंच सकता है और अगर ये किसी सर्विस या काम के बदले दिया या लिया जा रहा है, तो यह टैक्सेबल इनकम बन सकता है। अब टैक्स सिस्टम सिर्फ करोड़ों के ट्रांजेक्शन नहीं, बल्कि ट्रांजेक्शन के पैटर्न पर भी नजर रखता है। अगर आप या आपके जानने वाले डिजिटल पेमेंट के जरिए कमाई कर रहे हैं और उसे ITR में नहीं दिखा रहे तो आने वाले समय में आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। इस आर्टिकल में जानिए किन डिजिटल पेमेंट्स को दिखाना जरूरी है, किन्हें नहीं और कैसे आप टैक्स नोटिस से बच सकते हैं?
मान लीजिए, आप हर दिन किसी को 400 रुपए ट्रांसफर करते हैं। ये महीने में 12,000 रुपए और सालभर में 1,44,000 रुपए हो जाते हैं। अगर यह पैसा किसी सर्विस के बदले जा रहा है, जैसे घरेलू काम, ट्यूशन, डिजाइनिंग तो इसे इनकम माना जा सकता है और इसका जिक्र ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) में करना जरूरी है। यह इसलिए जरूरी है कि अगर आप ईमानदारी से ITR में इनकम का खुलासा करते हैं, डिजिटल पेमेंट्स की डिटेल्स सही भरते हैं, तो फ्यूचर में किसी नोटिस या पेनल्टी से बच सकते हैं।
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आयकर विभाग सिर्फ बड़ी रकम पर ही नहीं, बल्कि लेन-देन के पैटर्न पर भी नजर रखता है। जैसे- बार-बार एक ही खाते में एक जैसे अमाउंट का ट्रांसफर, रोजाना कोई तय राशि एक ही मोबाइल नंबर पर भेजना, किसी एक सर्विस प्रोवाइडर को नियमित डिजिटल पेमेंट करना है। ऐसे पैटर्न से संकेत मिल सकता है कि सर्विस के बदले इनकम आ रही है।
अगर आपकी कुल सालाना इनकम टैक्स लिमिट 2.5 लाख रुपए से कम है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आप ट्यूशन पढ़ा रहे हैं, ऑनलाइन प्रोजेक्ट्स ले रहे हैं, घर से कोई छोटा बिजनेस चला रहे हैं या फ्रीलांसिंग करके पैसे कमा रहे हैं और इन सभी का पेमेंट पेटीएम, गूगल पे या UPI के जरिए हो रहा है, तो उसे ITR में दिखाना जरूरी है। दरअसल, आपके डिजिटल पेमेंट की डिटेल्स बैंकों और NPCI (National Payments Corporation of India) के जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंच सकती हैं। इसलिए यह मानना कि छोटे ट्रांजैक्शन किसी को पता नहीं चलेंगे, गलतफहमी हो सकती है।
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