अंडमान में मिला तेल का खजाना! 5 गुना बढ़ 20 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है भारत की जीडीपी

Published : Jun 16, 2025, 10:32 PM ISTUpdated : Jun 16, 2025, 10:36 PM IST
Oil exploration

सार

अंडमान सागर में विशाल तेल भंडार मिलने की संभावना। पेट्रोलियम मंत्री का दावा, गयाना जैसा भंडार मिला तो भारत की जीडीपी 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।

Oil Reserves In India: मिडिल ईस्ट में इजरायल-ईरान में चल रहे युद्ध के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्रीय पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत अंडमान सागर में एक बड़े कच्चे तेल भंडार की खोज के बेहद करीब है। अगर तेल का ये भंडार भारत को मिलता है तो हमारी जीडीपी 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।

देश की ऊर्जा सुरक्षा व आर्थिक विकास के लिए गेमचेंजर

एक इंटरव्यू के दौरान पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह ने कहा- अंडमान में खोजा गया ये ऑलय रिजर्व गयाना में हेस कॉर्पोरेशन और सीएनओओसी की ओर से की गई बड़ी खोज की तरह है। अगर हमें अंडमान सागर इलाके में गयाना जैसा तेल भंडार मिलता है तो ये देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित होगा। इससे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा। बता दें कि गयाना कच्चे तेल के भंडार में दुनिया का 17वां बड़ा देश है। वहां करीब 11.6 अरब बैरल तेल और गैस का भंडार है।

1.84 लाख करोड़ लीटर कच्चा तेल मिलने का अनुमान

हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि अंडमान सागर में हम जिस तेल भंडार को खोजने के करीब हैं, वहां 1.84 लाख करोड़ लीटर तक कच्चे तेल का भंडार हो सकता है। ये गुयाना की खोज के बराबर ही होगा। उन्होंने कहा- हमें कृष्णा-गोदावरी बेसिन के बाद अब अंडमान सागर में भी तेल भंडारण के सकारात्मक संकेत मिले हैं। ये खोज भारत को 3.7 ट्रिलियन से 20 ट्रिलियन इकोनॉमी बना सकती है। बता दें कि सरकार ने पिछले कुछ सालों में समुद्री बेसिनों में तेल और गैस की खोज के लिए इन्वेस्टमेंट बढ़ाया है। पब्लिक सेक्टर की कंपनियां ONGC और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने अंडमान के समुद्री इलाके में खुदाई शुरू की है।

भारत कुल जरूरत का 85% तेल करता है आयात

भारत फिलहाल कच्चे तेल की जरूरत का करीब 85% दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। इसकी वजह से हमारे देश की ऊर्जा सुरक्षा कमजोर है। अगर अंडमान सागर में ये बड़ा तेल भंडारण मिलता है, तो हमारी आयात पर निर्भरता कम होगी। इसके अलावा डोमेस्टिक लेवल पर भी तेल की उपलब्धता बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है।

 

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