Pension History in India : रिटायरमेंट के बाद अगर कोई चीज सबसे ज्यादा मानसिक और आर्थिक राहत देती है, तो वह है पेंशन। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पेंशन की शुरुआत कब हुई थी? तब कितनी पेंशन मिलती थी? आइए जानते हैं हिस्ट्री और रोचक फैक्ट्स...
चाहे सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट, आज भी लाखों लोग इस एक सहारे पर बुढ़ापे की प्लानिंग करते हैं। इन दिनों भी पेंशन को लेकर काफी चर्चाएं हैं। ओल्ड पेंशन की मांग की जा रही है। प्राइवेट जॉब वालों के लिए भी EPS यानी पेंशन स्कीम बढ़ाने की चर्चा है। ऐसे में पेंशन का इतिहास हर किसी को जानना चाहिए।
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दुनिया में पेंशन की शुरुआत कब हुई?
इतिहासकारों के अनुसार, पेंशन की परंपरा करीब 2000 साल पुरानी है। लेकिन आधुनिक पेंशन व्यवस्था की शुरुआत 1770 के दशक में हुई, जब यूरोपीय सेनाओं ने अपने अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद पैसा देना शुरू किया। ब्रिटिश सेना में लॉर्ड कॉर्नवालिस जैसे अफसर पेंशन पाने वाले शुरुआती नामों में आते हैं।
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भारत में पेंशन की शुरुआत कब हुई थी?
भारत में पेंशन सिस्टम की शुरुआत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में हुई थी। माना जाता है कि 1881 में पहली बार भारत में सरकारी कर्मचारियों को फॉर्मल पेंशन दी गई। ये पेंशन एक सम्मानजनक राशि मानी जाती थी, जिससे व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद भी आत्मनिर्भर बना रह सके।
पहले भारतीय पेंशनभोगी का नाम कहीं नहीं मिलता लेकिन उम्मीद जताई जाती है कि किसी सिपाही या हवलदार को ब्रिटिश राज में पहली बार रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिली होगी।
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भारतीयों को सबसे पहले कितनी पेंशन मिलती थी?
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटिश अधिकारियों को मंथली 100-200 रुपए की पेंशन दी जाती थी। वहीं, भारतीय सिपाही या हवलदार को 4 से 7 रुपए पेंशन मिलती थी। आज भले ही ये राशि मामूली लगती है, लेकिन तब के जमाने में एक रुपए में ही पूरा महीना सुकून और आराम से बीत जाता था।
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दुनिया में सबसे पहले बुजुर्गों को पेंशन देने वाला देश कौन था?
1889 में जर्मन चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क ने 70 साल से ज्यादा उम्र के नागरिकों के लिए सरकारी पेंशन योजना शुरू की। यही मॉडल बाद में अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों में अपनाया गया। इसे ही आज की सोशल सिक्योरिटी (Social Security) का आधार माना जाता है।
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पेंशन क्यों जरूरी है?
रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा
बुजुर्गों को आत्मनिर्भर जिंदगी जीने में मदद
जीवन स्तर बनाए रखना
हेल्थकेयर का खर्च उठाना
यह सिर्फ वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि सम्मान की गारंटी भी है।