सहारा में पैसा लगा चुके निवेशक आज भी इसी उम्मीद में जी रहे हैं कि कभी न कभी उनका पैसा वापस जरूर मिलेगा। वैसे, सुप्रीम कोर्ट ने 5 हजार करोड़ रुपए लौटाने वाली याचिका को मंजूर भी कर लिया है। बता दें कि इस पैसे के लिए पिनाक मोहंती ने लंबी लड़ाई लड़ी है।
Who is Pinak Pani Mohanty: सहारा में पैसा लगा चुके करोड़ों निवेशक आज भी इसी उम्मीद में जी रहे हैं कि कभी न कभी उनका पैसा वापस जरूर मिलेगा। इसी बीच, सहारा के निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर तब आई, जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसमें सरकार ने कहा था कि सहारा (Sahara) सेबी (SEBI) के 24,979 करोड़ रुपए के कुल फंड में से 5 हजार करोड़ रुपए रिलीज करे, ताकि निवेशकों के खून-पसीने की कमाई लौटाई जा सके। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पिनाक पाणि मोहंती की पीआईएल (जनहित याचिका) पर केंद्र सरकार की ओर से दायर एक अर्जी पर दिया है। आखिर कौन हैं पिनाक पाणि मोहंती, आइए जानते हैं।
कौन हैं पिनाक पाणि मोहंती?
पिनाक पाणि मोहंती ने सहारा से पैसे मिलने की उम्मीद छोड़ चुके करोड़ों निवेशकों के दिलों में एक आस जगाई है। ओडिशा के रहने वाले पिनाक मोहंती (Pinak Pani Mohanty) आलू के चिप्स बेचने का काम करते हैं। उनकी महीने की कमाई करीब 25 हजार और सालाना करीब 3 लाख रुपए है। पिनाक मोहंती ने सुप्रीम कोर्ट में एक PIL फाइल की थी, जिसमें उन्होंने चिट फंड कंपनियों और सहारा क्रेडिट फर्म्स (Sahara Group) में निवेश करने वाले निवेशकों को उनका पैसा लौटाने का निर्देश देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मंजूर कर लिया है। अब 9 महीने में एक जज की निगरानी में निवेशकों को उनका पैसा लौटाया जाएगा।
याचिका लगाने में मोहंती का काफी पैसा हुआ खर्च
एक इंटरव्यू के दौरान पिनाक पाणि मोहंती ने बताया कि एक आम आदमी के लिए इतनी बड़ी लड़ाई लड़ना कोई आसान काम नहीं था। इस याचिका को लगाने में उनके करीब 5 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसमें उनके कुछ दोस्तों और सोशल एक्टिविस्ट ने काफी मदद की। बता दें कि मोहंती ने जनवरी, 2022 में सहारा केस को लेकर जनहित याचिका लगाई थी।
क्या है पूरा विवाद?
ये विवाद 2009 का है। सहारा स्कैम (Sahara scam) मुख्य रूप से सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड से जुड़ा हुआ है। इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब सहारा ग्रुप की सबसिडरी कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपना IPO लाने की तैयारी शुरू की। इसके लिए उसने सेबी में डॉक्यूमेंट (DRHP) जमा किए। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने ड्राफ्ट रेड हेयरिंग प्रॉस्पेक्ट्स पर गौर किया तो पाया कि सहारा ग्रुप की दो कंपनियों ने गलत तरीके से करीब 24 हजार करोड़ रुपए जुटाए हैं। बाद में सेबी ने सहारा को निवेशकों का पूरा पैसा लौटाने के लिए कहा। हालांकि, मामला कोर्ट में चला गया और तभी से करीब 2 करोड़ निवेशकों के पैसे अटके हुए हैं।
ये भी देखें :