
China Gold Strategy : क्या बीजिंग में कुछ बड़ा पक रहा है? चीन की चाल देखकर तो यही लग रहा है। दरअसल, लगातार 18 महीने तक सोना खरीदने के बाद चीन ने 6 महीने का ब्रेक लिया। ये ब्रेक नवंबर 2023 तक चला और फिर ड्रैगन ने वापस अपनी झोली भरनी शुरू कर दी और वो भी चुपचाप। मई 2025 के ताजा आंकड़े बताते हैं कि चीन ने लगातार 7वें महीने अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा किया है। अमेरिका से ट्रेड वॉर के बीच ड्रैनग का सोना खरीदना काफी कुछ संकेत दे रहा है।
मई 2025 के अंत तक चीन का गोल्ड रिजर्व (China Gold Reserve 2025) बढ़कर 73.83 मिलियन फाइन ट्रॉय औंस तक पहुंच गया है। अप्रैल में ये आंकड़ा 73.77 मिलियन था। वैल्यू के लिहाज से देखा जाए तो PBOC (People’s Bank of China) का गोल्ड रिजर्व अब 241.99 बिलियन डॉलर का है। भले ही डॉलर में थोड़ा गिरा हो, लेकिन चीन के स्टोरेज की स्ट्रैटजी बता रही है कि वो गोल्ड को अब रणनीतिक हथियार की तरह देख रहा है।
2024 में अब तक गोल्ड की कीमत में 27% की बूम आ चुकी है। इसकी वजह है दुनिया में लगातार बढ़ती अनिश्चितता, टैरिफ वॉर का खतरा और सबसे बड़ी बात भरोसे की कमी है। ऐसे में पीबीओसी का गोल्ड खरीदना सिर्फ निवेश नहीं बल्कि ग्लोबल बैलेंस की गेम का हिस्सा माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि PBOC की खरीदारी यह दिखा रही है कि चीन अब डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। यह एक तरह से उसके फॉरेन रिज़र्व को 'गोल्ड में शिफ्ट' करने का इशारा है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि चीन ने नवंबर 2024 से सोना दोबारा खरीदना तब शुरू किया, जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की वापसी हुई। इत्तेफाक नहीं लगता? क्या यह सिर्फ ट्रम्प के आने का डर था या कुछ और? कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन ने ट्रम्प की पॉलिसी को पहले भी झेला है और उसे मालूम है कि अब गेम वापस कड़ा हो सकता है। इसलिए गोल्ड के जरिए वो खुद को एक फाइनेंशियल बफर देना चाहता है ताकि कोई भी ग्लोबल इकोनॉमिक झटका उसे ना डिगा सके।
मेटल्स फोकस की एक रिपोर्ट कहती है कि 2025 में दुनिया के सेंट्रल बैंक 1,000 मीट्रिक टन तक सोना खरीद सकते हैं। यह खरीदारी पिछले चार सालों में सबसे बड़ी हो सकती है और इसका नेतृत्व चीन कर रहा है। यह सिर्फ ट्रेड या गोल्ड रेट की कहानी नहीं है बल्कि करेंसी वॉर की नींव और चीन, जो हमेशा अपने खेल को छुपाकर चलता है, शायद इस बार भी चुपचाप 'गोल्डन रिवोल्यूशन' की शुरुआत कर चुका है?