
बिजनेस डेस्क। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) नवंबर में तीन महीने के उच्च स्तर 4.91 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पांचवां महीना है जब खुदरा महंगाई आरबीआई (RBI) के 2-6 फीसदी के लक्ष्य के दायरे में रही है। 39 अर्थशास्त्रियों के एक रॉयटर्स पोल ने नवंबर में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (Consumer Price Inflation) 5.10 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो अक्टूबर में 4.48 फीसदी से अधिक है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आज कहा कि ग्रामीण भारत में सीपीआई (Consumer Price Index) मुद्रास्फीति नवंबर में 4.29 फीसदी थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 5.54 फीसदी थी। खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 4.48 फीसदी थी तो सितंबर में 4.35 फीसदी थी।
इनमें देखने को मिली महंगाई
विभिन्न क्षेत्रों में, तेल और वसा में 29.67 फीसदी की मुद्रास्फीति दर देखी गई, इसके बाद ईंधन और प्रकाश में 13.35 फीसदी और परिवहन और संचार में 10.02 फीसदी की वृद्धि हुई। नवंबर में घरेलू सामान और सेवाओं में 6.41 फीसदी मुद्रास्फीति दर्ज की गई, जबकि कपड़े और जूते में 7.94 फीसदी मुद्रास्फीति दर्ज की गई। गैर-मादक पेय पदार्थों में भी मुद्रास्फीति दर 9.65 फीसदी देखी गई।
फ्यूल प्राइस में की थी कटौती
पिछले महीने, दिवाली की पूर्व संध्या पर, केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: 5 और 10 रुपए की कटौती की घोषणा की थी। कई राज्य सरकारों ने भी ईंधन पर वैट में कटौती की थी, जिससे ईंधन की कीमतों में और कमी आई। पिछले हफ्ते, भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को रोक दिया लेकिन केंद्रीय बैंक ने कहा कि निकट अवधि में कीमतों का दबाव बना रह सकता है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए और 5-1 के बहुमत से उदार नीति रुख को बनाए रखने के लिए मतदान किया।
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कैसी रही इकोनॉमी
एमपीसी ने अपने पूरे साल के आर्थिक विकास के अनुमान को 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा और खुदरा मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को भी 5.3 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा। भारत की अर्थव्यवस्था में एक साल पहले की तुलना में सितंबर तिमाही में 8.4 फीसदी का विस्तार हुआ, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति है, लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महामारी की स्थिति एक वाइल्ड कार्ड है। पिछले सप्ताह जारी औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की औद्योगिक गतिविधि की वृद्धि लगातार दूसरे महीने कमजोर रही और अक्टूबर में 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई, मुख्य रूप से कम आधार प्रभाव के कारण खनन, बिजली और विनिर्माण क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया।