मंगलवार को एक शीर्ष अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारत ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol And Diesel Prices) को कम करने के लिए अमेरिका, जापान और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर अपने आपातकालीन भंडार से लगभग 50 लाख बैरल कच्चे तेल को निकालने की बनाई है।
बिजनेस डेस्क। भारतीयों को जल्द ही महंगे पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमत से छुटकारा मिलने की उम्मीद है। पेट्रोल और डीजल की महंगाई से छुटकारा दिलाने के लिए भारत एक ऐसे कोल्ड वॉर का हिस्सा बन गया है, जिससे इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल के दाम कम हो जाएंगे। इसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी देखने को मिलेगी। वास्तव में भारत ने अमेरिका, जापान और दूसरे देशों के साथ अपने कच्चे तेल भंडार 5 मिलियन (50 लाख ) बैरल ऑयल निकालने की तैयारी की है। इससे ओपेक (OPEC) देशों पर कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने का दबाव पड़ेगा। प्रोडक्शन बढ़ने के बाद ऑयल की कीमत अपने आप कम हो जाएंगी।
स्ट्रैटिजिक रिजर्व ऑयल निकालने का विचार
भारत ने कीमतों को कम करने के लिए अमेरिका, जापान और दूसरे देशों के साथ मिलकर अपने आपातकालीन भंडार से लगभग 50 लाख बैरल कच्चे तेल को छोड़ने की योजना बनाई है। भारत पूर्वी और पश्चिमी तट पर तीन स्थानों पर अंडरग्राउंड गुफाओं में लगभग 38 मिलियन बैरल कच्चे तेल का भंडारण करता है। इसमें से, लगभग 5 मिलियन बैरल 7-10 दिनों की शुरुआत में जारी किए जाएंगे। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि स्टॉक मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड को बेचा जाएगा, जो पाइपलाइन द्वारा स्ट्रैटिजिक रिजर्व से जुड़े हैं। अधिकारी ने कहा- हम बाद में और भंडार जारी करने पर विचार कर सकते हैं।
स्ट्रैटिजिक रिजर्व ऑयल निकालने का विचार क्यों?
मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में तेजी देखने को मिल रही है। इसका कारण है ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OPEC) ने प्रोडक्शन काफी कम कर रखा है। जानकारों की मानें तो अमेरिका से लेकर एशिया और यूरोप के दूसरो देशों में महंगाई अपने चरम पर है। यूएस में महंगाई 30 साल की ऊंचाई पर है। बीते दिनों यूएस प्रेसीडेंट की ओर से कहा गया था कि महंगाई का मुख्य कारण एनर्जी प्रोडक्ट्स में तेजी के कारण है। हाल में ही में अमेरिका और चीन के बीच बैठक में इस बात का फैसला लिया गया कि क्रूड ऑयल पर लगाम लगाने के लिए सभी कंट्रीज अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व को बाहर निकालें।
क्रूड ऑयल पर कोल्ड वॉर
वहीं, दूसरी ओर कमोडिटी के जानकार इसे क्रूड ऑयल पर कोल्ड वॉर के तौर पर देख रहे हैं। आईआईएफएल के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता के अनुसार अमेरिका, चीन, जापान और बाकी एशियाई देश जो भी क्रूड ऑयल इंपोर्टर हैं, वो ओपेक पर दबाव बनाने का प्रयास करने में जुटे हुए हैं, ताकि क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन शुरू कर सकें। वैसे स्ट्रैटिजिक रिजर्व निकालने का पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई असर तो देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन इसका इंपैक्ट ओपेक देशों पर जरूर देखने को मिल सकता है।
क्या चाहता है ओपेक
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार ओपेक देशों पर अब प्रोडक्शन बढ़ाने का दबाव बढ़ाया जा रहा है, ताकि महंगाई को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि वास्तव में ओपेक देश भी अपनी स्थिति को ठीक करने में जुटे हैं। पिछला साल क्रूड ऑयल और ओपेक देशों के लिए काफी नुकसान वाला रहा था। क्रूड ऑयल के दाम माइनस तक में चले गए थे। ऐसे में ओपेक प्रोडक्शन कम करके कीमतों में लेवल पर रखकर अपने को एक बार फिर से प्रॉफिट में लाना चाहते हैं। वैसे ओपेक इस बार तो पहले ही कह चुका है कि दिसंबर के महीने से ओपेक देश एक मिलियन बैरल प्रति दिन के हिसाब से प्रोडक्शन में इजाफा करेगा।
इकोनॉमी खुली, बढ़ रही है डिमांड
अजय केडिया के अनुसार पोस्ट कोविड के बाद दुनिया में क्रूड ऑयल का डिमांड बढ़ा है। प्रोडक्शन कम होने के कारण कीमत में इजाफा देखने को मिल रहा है। अगर बात मौजूदा समय की करें तो पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल का कंजंप्शन 100 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गया है। केडिया का कहना है कि स्ट्रैटिजिक रिजर्व निकालने से ओपेक देशों पर थोड़ा असर देखने को मिलेगा। जब तक ओपेक देशों की ओर से प्रोडक्शन नहीं बढ़ाया जाएगा, तब तक क्रूड ऑयल के दाम कम नहीं होंगे।
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम
यूएस, जापान, भारत और दूसरे देशों की ओर से स्ट्रैटिजिक रिजर्व से ऑयल निकालने के फैसले के बाद से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम में गिरावट देखने को मिल रही है। डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में 75.78 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है, जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमत में करीब एक फीसदी की गिरावट है। ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 78.98 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
भारत में भी आई गिरावट
वहीं, भारत के वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी इंडेक्स में भी कच्चे तेल की कीमत में एक फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। शाम 4 बजकर 10 मिनट पर क्रूड ऑयल के दाम 54 रुपए प्रति बैरल की गिरावट के साथ 5,656 रुपए प्रति बैरल पर थे, जबकि आज कच्चा तेल 5,711 रुपए प्रति बैरल पर ओपन हुआ था। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बता दें कि भारत डिमांड का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।
यह भी पढ़ें:- 7th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतन में जल्द हो सकता है मोटा इजाफा, यहां जानिए क्यों
क्यों जरूरी है क्रूड ऑयल की कीमत पर लगाम
अगर बात भारत के हिसाब से की जाए तो डिमांड का 80 फीसदी ऑयल इंपोर्ट करना आसान नहीं है। अगर कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर का इजाफा होता तो भारत की जीडीपी पर 0.4 फीसदी कम हो जाती है। मौजूदा महीने की शुरूआत में रिपोर्ट आई थी कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमत की वजह से मार्च 2022 तक चालू घाटा बढ़कर 45 अरब डॉलर हो सकता है। जोकि कुल जीडीपी का 1.4 फीसदी है। आपको बता दें कि सितंबर 2021 में अब तक का सबसे ज्यादा 22.6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।
यह भी पढ़ें:- NPS Calculator: 10 हजार का करें मंथली निवेश, रिटायरमेंट पर मिनेंगे 3.45 करोड़ और डेढ़ लाख हर महीना पेंशन
19 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर
वहीं भारत में 19 दिन से पेट्रोल और डीजल की कीमत में किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला है। उससे पहले केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को कम कर दिया था। पेट्रोल पर 5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी कम की थी। राज्य सरकारों की ओर से भी वैट कम किया है। उसके बाद भी कई राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति और डीजल के दाम 95 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा बने हुए हैं। जानकारों की मानें तो जब तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल के दाम कम नहीं होंगे, तब तक कोई असर देखने को नहीं मिलेगा।