संध्या के पिता ट्रक यूनियन में रेहड़ी चलाते हैं और मां कूड़ा बीनती हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी संध्या घर की बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर घरों में काम करने लगी थी। झोपड़ पट्टी के बच्चों के लिए संध्या अब रोल मॉडल बन गई है।
पटियाला. गरीबी किसी को भी दूसरों के आगे हाथ फैलाने को मजबूर कर देती है। पर गरीबी में जिंदगी गुजारने वाली लड़की की एक ऐसी कहानी सामने आई है जो किसी को भी हैरान कर सकती है। सड़कों पर भीख मांगने वाली ये बच्ची अब पढ़-लिखकर इंजीनियर बनने की राह पर है। पटियाला ट्रक यूनियन के पास बनी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे आर्थिक तंगी के कारण भीख मांगने को मजबूर हैं। इस बस्ती में भी शिक्षा का सवेरा आएगा, ऐसी किसी ने नहीं सोचा था।
पर इस बस्ती की एक बच्ची संध्या ने ऐसा कर दिखाया है। भीख मांगना छोड़ संध्या ने पढ़ाई शुरू की और मेहनत रंग लाई। संध्या का चयन बेंगलुरु के संस्थान में सॉफ्टवेयर डेवलपर कोर्स के लिए हो गया।
झोपड़ पट्टी के बच्चों की रोल मॉडल
एक साल बाद संध्या खुद सॉफ्टवेयर तैयार कर सकेगी। वो जल्द ही एक बड़ी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन जाएगी और उसकी सारी गरीबी भी दूर हो पाएगी। झोपड़ पट्टी के बच्चों के लिए संध्या अब रोल मॉडल बन गई है। संध्या के पिता ट्रक यूनियन में रेहड़ी चलाते हैं और मां कूड़ा बीनती हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी संध्या घर की बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर घरों में काम करने लगी थी।
पढ़ाई छूटने पर रोती थी
पढ़ाई छूटने का दर्द उसे हर पल सताता था। इसका जिक्र वो अपनी सहेलियों से करती थी। संध्या के फिर से पढ़ने के जज्बे को देखते हुए स्थानीय समाजसेवी संस्था ‘हर हाथ कलम’ ने उसका स्कूल में दाखिला करवाया। भीख मांगने वाली इस बच्ची की मदद कर संस्था ने उसकी जिंदगी ही बदल दी।
संध्या ने सबसे पहले तो दसवीं कक्षा पास की। इसके बाद नवंबर, साल 2019 में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कोर्स की प्रवेश परीक्षा क्लियर कर अपनी काबिलियत का परिचय दिया। अब बेंगलुरु में एक साल का कोर्स करने के बाद वो खुद सॉफ्टवेयर बना सकेगी। बेटी की कामयाबी पर पिता विनोद कुमार ने कहा कि बेहद खुशी है, बेटी सफलता की ओर है। मैं चाहता हूं कि बेटी सफलता की ऊंची उड़ान भरे और गरीबी को हमेशा के लिए पीछे छोड़ दे।
एक और संस्था आई सामने
अब बस्ती के जरूरतमंद बच्चों के लिए बेंगलुरु की नव गुरुकुल संस्था ने चार साल के सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कोर्स को एक साल में कराने का विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसका उद्देश्य संध्या जैसे बच्चों को प्रशिक्षित कर पैरों पर खड़ा करना है। संस्था बेंगलुरु में संध्या की पढ़ाई और रहने का खर्च उठाएगी।
भीख मांगना मेरी जिंदगी के सबसे बुरे दिन
संध्या का कहना है, ‘परिवार को कर्ज में देख कर मैं मजबूर हो गई थी इसलिए बचपन में भीख मांगी और फिर पढ़ाई के लिए दुकानदार के घर पर काम किया। लोगों के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगना मेरी जिंदगी के सबसे बुरे दिन रहे। उम्मीद है कि अब जीवन में ऐसा अंधेरा फिर नहीं आएगा। मैं एक मुकाम हासिल कर उन बच्चों के लिए काम करूंगी, जो मेरी तरह गरीब और बेसहारा हैं।
बच्ची के हौसले को दुनिया का सलाम
बच्ची के जज्बे की दुनियाभर में जमकर तारीफ हुई। उसके संघर्ष की कहानी दूसरों के लिए प्रेरणा देने वाली है।