Delhi Education Board: दिल्‍ली का होगा अपना शिक्षा बोर्ड, कट्टर देशभक्‍त बच्चे तैयार करेंगे CM केजरीवाल

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अन्‍य राज्‍यों के भी अपने शिक्षा बोर्ड हैं और दिल्‍ली बोर्ड की पढ़ाई 2021-22 सेशन से ही शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले का असर केवल दिल्‍ली की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर नहीं, बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर होगा।

करियर डेस्क. Delhi Education Board: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने ऐलान किया है कि अब दिल्ली का भी अपना अलग शिक्षा बोर्ड होगा। कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि वर्ष 2021-22 में कुछ स्कूलों में नए बोर्ड के तहत पढ़ाई होगी। अभी तक राज्‍य में केवल CBSE और ICSE बोर्ड की पढ़ाई होती है। इस एजुकेशन बोर्ड के अंतर्गत दिल्ली सरकार का पहला लक्ष्य कट्टर देशभक्त बच्चे तैयार करना है।

अब छात्र दिल्‍ली बोर्ड के संबद्ध स्‍कूलों में दिल्‍ली बोर्ड द्वारा प्रस्‍तावित सिलेबस की पढ़ाई कर सकेंगे। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अन्‍य राज्‍यों के भी अपने शिक्षा बोर्ड हैं और दिल्‍ली बोर्ड की पढ़ाई 2021-22 सेशन से ही शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले का असर केवल दिल्‍ली की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर नहीं, बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर होगा।

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दिल्ली एजुकेशन बोर्ड बनाने के 3 लक्ष्य हैं
 

 

नये बोर्ड की ये होंगी खासियत    

 

इस साल 2021-22 में 20-25 सरकारी स्कूलों को इस बोर्ड के तहत लेकर आएंगे। यह स्‍कूल कौन-कौन से होंगे यह स्कूल प्रिंसिपल से बात करके तय किया जाएगा। इन स्‍कूलों से CBSE बोर्ड की मान्यता हटाकर दिल्‍ली बोर्ड की मान्यता लागू की जाएगी। उम्मीद है 4 से 5 साल के अंदर स्वैच्छिक तौर पर सभी स्कूल इसके तहत आ जाएंगे।

मुख्‍यमंत्री ने जगाई देशप्रेम की भावना

मुख्‍यमंत्री ने कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एक हीन भावना हुआ करती थी, जब हमने बजट का 25% शिक्षा पर खर्च करना शुरू किया तो बदलाव आना शुरू हुआ। हमने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया और टीचर्स को विदेशों में ट्रेनिंग के लिए भेजा। हमने अपने छात्रों को विदेश भेजना शुरू किया और फिजिक्स केमिस्ट्री के ओलिंपियाड के लिए विदेश में भेजा। कई जगहों से हमारे दिल्ली के बच्चे मेडल जीतकर लौटे।

प्रिंसिपल को मिलेगी पूरी पावर

हमने अपने प्रिंसिपल को एंपावर किया, अभी तक हर स्कूल के अंदर डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन का बहुत ज्यादा दखल होता था। छोटी छोटी चीजों के लिए डायरेक्टरेट से मंजूरी लेनी होती थी लेकिन अब हमने प्रिंसिपल को पावर दे दी और 5,000 के काम से उसकी पावर बढ़ाकर 50,000 कर दी।"

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