केंद्र की संकाय निदेशक और क्लीनिकल लॉ की प्रोफेसर शीतल कलंतरी ने बताया कि कॉर्नेल भारत विधि केंद्र का एक अन्य उद्देश्य भारतीय विधि विद्यालयों, कानूनी पेशेवरों, न्यायाधीशों और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। कलंतरी ने कहा कि केंद्र उच्चतम न्यायालय में महत्वपूर्ण मामलों - जैसे आधार योजना, भारतीय दंड संहिता के अनुच्छेद 377 को कानूनी मान्यता देना, सबरीमला मामले और सरोगैसी मामले आदि -में फैसलों के संकलन पर काम कर रहा है।
नई दिल्ली. भारत के संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी उन संवेदनशील कानूनी मुद्दों में शामिल हैं जिन्होंने कॉर्नेल लॉ स्कूल का ध्यान अपनी और खींचा है और वह अब उन पर तथ्य आधारित अध्ययन कर रहा है।
कॉर्नेल लॉ केंद्र का उद्देश्य दोनों देशों के कानूनी पेशेवरों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है
इस महीने के शुरू में यहां कॉर्नेल भारत विधि केंद्र शुरू करने वाला अमेरिका स्थित ‘इवी लीग’ विधि विद्यालय अमेरिकी कानूनी विद्यापीठ में भारतीय कानून और नीतियों के अध्ययन को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित है। अमेरिकी विधि विद्यालयों में यद्यपि चीन के कानून, अफ्रीका के कानून और यूरोपीय कानून के केंद्र हैं लेकिन अमेरिकी कानून के विद्वानों में भारतीय कानून के अध्ययन को लेकर अधिक महत्व नहीं दिया जाता।
केंद्र की संकाय निदेशक और क्लीनिकल लॉ की प्रोफेसर शीतल कलंतरी ने बताया कि कॉर्नेल भारत विधि केंद्र का एक अन्य उद्देश्य भारतीय विधि विद्यालयों, कानूनी पेशेवरों, न्यायाधीशों और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। कलंतरी ने कहा कि केंद्र उच्चतम न्यायालय में महत्वपूर्ण मामलों - जैसे आधार योजना, भारतीय दंड संहिता के अनुच्छेद 377 को कानूनी मान्यता देना, सबरीमला मामले और सरोगैसी मामले आदि -में फैसलों के संकलन पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सीएए, एनआरसी और असम में विदेशी न्यायाधिकरण बनाए जाने जैसी गतिविधियों पर भी करीबी नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा इन विवादित मुद्दों के तथ्य आधारित मूल्यांकन करने की जरूरत के मद्देनजर किया जा रहा है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)