फुल टाइम और पार्ट टाइम दोनों कैंडिडेट्स के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया समान होगी। पार्ट टाइम पीएचडी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार पीएचडी फेलोशिप के लिए एलिजिबल नहीं होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से ये जानकारी दी गई है।
करियर डेस्क : अब PhD करने के लिए आपको जॉब छोड़ने या लंबी छुट्टी लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अब आपको नौकरी के साथ पॉर्ट टाइम पीएचडी का मौका देने जा रहा है। अब तक ऐसा सिर्फ विदेशों में ही होता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी में ऐसे प्रोफेशनल पार्ट टाइम डॉक्टरेट कर सकेंगे।
पीएचडी नियमों में संशोधन
ऐसा करने के लिए यूजीसी काउंसिल ने पीएचडी नियमों में संशोधन किया है। 13 जून को काउंसिल की बैठक हुई थी। इस बैठक में ही यूजीसी रेग्यूलेशन मिनिमम स्टैंडर्ड एंड प्रोसीजर फॉर अवार्ड ऑफ पीएचडी 2022 ड्रॉफ्ट को पास कर दिया गया है। इस ड्रॉफ्ट के अनुसार अगर कोई पार्ट टाइम डॉक्टरेट प्रोग्राम में शामिल होना चाहता है तो उसे आईआईटी और प्राइवेट संस्थाओं या आपनी कंपनी से एनओसी लेना होगा।
इन नियमों के तहत एडमिशन
यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार (M Jagadesh Kumar) ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अब वर्किंग प्रोफेशनल अपनी नौकरी के साथ ही पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे। अगले सत्र से विश्वविद्यालयों, CSIR, ICMR और ICAR में इन्हीं नियमों के तहत दाखिला होगा। उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर पीएचडी की सीटों से संबंधित पूरी डिटेल्स देनी होगी।
कैसे होगी मार्किंग
पीएचडी में दाखिला लेने वालों के लिए 70 नंबर लिखित परीक्षा का होगा और 30 नंबर इंटरव्यू का। उनके लिए कम से कम 12 और अधिक से अधिक 16 क्रेडिट अनिवार्य होगा। कैंडिडेट्स अपनी थीसिस को पेटेंट और पीएचडी की रिसर्च फाइंडिंग को क्वॉलिटी जर्नल यानी पीर रिव्यू जर्नल में प्रिंट करवा सकते हैं। स्टूडेंट्स इसे सेमिनार में प्रजेंट भी कर सकेंगे। वाइवा ऑन लाइन होगा।
नई व्यवस्था के अनुसार ये नियम होंगे
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