BHU Scientists Innovation: रंग लाई मेहनत, बीएचयू के वैज्ञानिकों ने तैयार की चावल की नई किस्म, ICAR ने भी किया ओके

Published : May 08, 2023, 02:52 PM ISTUpdated : May 08, 2023, 03:54 PM IST
bhu rice

सार

बीएचयू के वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद चावल की नई किस्म तैयार की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने भी इसे सर्टिफाई कर दिया है। चावल की इस नई किस्म को "मालवीय मनीला सिंचित धान-1" कहते हैं।

एजुकेशन डेस्क। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है. वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद चावल की नई किस्म तैयार की है। चावल की इस नई किस्म को अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) मनीला, फिलीपींस के सहयोग से वैज्ञानिकों विकसित किया है। चावल की नव विकसित किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की किस्म पहचान समिति (वीआईसी) की ओर से मंजूरी भी दे दी गई है।

मालवीय  मनीला सिंचित धान-1 दिया नाम
बीएचयू के वैज्ञानिकों का यह नया इनोवेशन कृषि क्षेत्र को भी बढ़ावा देगा. वैज्ञानिकों ने चावल की इस नई किस्म को "मालवीय मनीला सिंचित धान-1" कहा है। वैज्ञानिक तकरीबन 15 सालों से चावल की यह नई किस्म विकसित करने को लेकर रिसर्च कर रहे थे। इस रिसर्च पर काम करने वाली टीम को वैज्ञानिक श्रवण कुमार सिंह लीड कर रहे थे। श्रवण कुमार बीएचयू में कृषि विज्ञान संस्थान में कार्यरत हैं। रिसर्च में टीम के अन्य सदस्य जयसुधा एस, धीरेंद्र कुमार सिंह, आकांक्षा सिंह (बीएचयू) और आईआरआरआई के वैज्ञानिक अरविंद कुमार और विकास कुमार सिंह भी पूरा सहयोग किया है।

ये भी पढ़ें. बनारसी पान और लंगड़ा आम को मिला जीआई टैग, जानिए उत्पादों को क्या मिलेगा इसका फायदा

आईसीएआर की मंजूरी के मापदंड
आईसीएआर (ICAR) की मंजूरी अखिल भारतीय परीक्षण प्रारूप पर तीन स्तरों पर आधारित होती है जो कि राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय है। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक चावल की इस नई किस्म "मालवीय मनीला सिंचित धान-1" ने पिछले तीन वर्षों में तीनों स्तरों पर अच्छा प्रदर्शन किया है। इसकी गहनता से जांच के बाद आईसीएआर ने अपनी 58वीं वार्षिक चावल समूह बैठक में चावल की इस किस्म को मंजूरी देने की घोषणा की है। चावल समूह की बैठक 4-5 मई को असम कृषि विश्वविद्यालय जोरहाट में आयोजित की गई थी।

ये भी पढ़ें. केमिकल में डुबोया और हरी-भरी हो गईं सूखी पत्तियां, पत्तेदार सब्जियां खाने वाले देख लें यह VIRAL VIDEO

बीएचयू के वैज्ञानिक की मानें तो चावल की यह किस्म 150 से 120 दिनों में रोपाई की स्थिति में आ जाती है। 102 से 110 सेमी तक पौधे की ऊंचाई के साथ इसकी फसल परिपक्व होती है। चावल की इस किस्म का उत्पाद प्रति हेक्टेयर 55 से 64 क्विंटल होता है। यह किस्म ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, फाल्स स्मट, स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांटहॉपर, गॉल मिज आदि प्रमुख रोगों और कीड़ों के प्रति प्रतिरोध भी दिखाती है। किसानों को अगले साल से चावल की इस नई किस्म का बीच उपलब्ध हो सकेगा।

PREV

Recommended Stories

RBSE Board Exam 2026: क्लास 9, 10, 11 और 12 की डेट्स जारी, जानिए कब से शुरू हैं परीक्षाएं
CAT 2025: प्रोविजनल आंसर की और रेस्पॉन्स शीट जारी, जानें ऑब्जेक्शन कैसे करें?