कैंडिडेट ने MBBS सीट के लिए चुकाए 16 लाख रुपये, न क्लास हुई न परीक्षा, एक महीने में मिल गई डिग्री

NEET UG 2024 में कथित अनियमितताओं पर जारी हंगामे के बीच उत्तरी गुजरात के मेहसाणा से मेडिकल एजुकेशन धोखाधड़ी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मामले में एक कैंडिडेट को 16 लाख रुपये पेमेंट के बदले एक महीने में MBBS की डिग्री मिल गई।

Anita Tanvi | Published : Jun 18, 2024 12:14 PM IST

Medical Education Fraud: एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन के लिए NEET UG 2024 में कथित अनियमितताओं पर हंगामा जारी है। इस बीच उत्तरी गुजरात के मेहसाणा से मेडिकल एजुकेशन धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें एक होम्योपैथ ने यूपी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन के लिए 16.32 लाख रुपये का पेमेंट किया और बदले में सर्टिफिकेट हासिल किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस कैंडिडेट को बिना एक भी क्लास में उपस्थित हुए और कोई परीक्षा दिए बिना पूरा पेमेंट करने के एक महीने के भीतर उसकी एमबीबीएस की डिग्री और सर्टिफिकेट दे दी गई।

जाली डिग्री पाने के बाद की एफआईआर

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पेमेंट दिये जाने के एक महीने के भीतर एमबीबीएस की डिग्री, बिना क्लास और परीक्षा के मिल जाने पर इस कैंडिडेट को महसूस हुआ कि यह एक जाली डिग्री है, तब इसने 2019 में पुलिस से संपर्क किया। लगभग पांच साल बाद 14 जून को एफआईआर दर्ज की गई।

सब कुछ कानूनी होने का दिलाया भरोसा

मामला जुलाई 2018 का है, 41 वर्षीय सुरेश पटेल मेडिकल में हायर एजुकेशन के बारे में इंटरनेट पर सर्फिंग कर रहे थे, तभी उनकी नजर ऑल इंडिया अल्टरनेटिव मेडिकल काउंसिल नामक एक मंच के माध्यम से एमबीबीएस की डिग्री की ऑफर करने वाली एक वेबसाइट पर पड़ी। उन्होंने संपर्क व्यक्ति डॉ. प्रेम कुमार राजपूत को फोन किया। पटेल की ओर से टीओआई को दी गई मामले की जानकारी के अनुसार राजपूत ने उन्हें आश्वासन दिया कि मुझे 12वीं कक्षा के मार्क्स के आधार पर एमबीबीएस की डिग्री मिलेगी। पटेल को संदेह था लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि सब कुछ कानूनी होगा। राजपूत ने पटेल से कहा कि वह इंटर्नशिप करेंगे, परीक्षा देंगे और पांच साल में डिग्री हासिल करेंगे।

पेमेंट करते ही कूरियर से मिला मेडिकल कोर्स का सर्टिफिकेट

राजपूत की बात पर भरोसा करते हुए पटेल ने आगे बढ़ने का फैसला किया और पहले 50,000 रुपये का भुगतान किया, जिसके बाद उन्हें झांसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एडमिट कार्ड मिला। पटेल के अनुसार राजपूत से उनकी करीब 25 बार बात हुई। राजपूत ने बताया कि तीन अन्य - डॉ सौकेत खान, डॉ आनंद कुमार और अरुण कुमार मुझे एमबीबीएस कोर्स पूरा करने में मदद करेंगे। उनके निर्देश पर, पटेल ने 10 जुलाई, 2018 और 23 फरवरी, 2019 के बीच 16.32 लाख रुपये का भुगतान किया और कक्षाएं शुरू होने का इंतजार करना शुरू कर दिया। पटेल ने कहा मेरी कक्षाएं कभी शुरू नहीं हुईं। मार्च 2019 में मुझे कूरियर के माध्यम से एक पैकेज मिला जिसमें एमबीबीएस मार्कशीट, एक डिग्री सर्टिफिकेट, इंटर्नशिप ट्रेनिंग सर्टिफिकेट और मेरे नाम पर एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट था, सभी पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की मुहर लगी थी। पटेल ने एमसीआई से संपर्क किया तब पता चला कि उन्हें धोखा मिला है। तब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसे बाद 2019 में अहमदाबाद अपराध शाखा को जांच सौंप दी गई।

दिसंबर 2023 में मेहसाणा एसपी के कार्यालय में दर्ज कराई शिकायत

पटेल ने आगे कहा कि 2019 में, मैं मेहसाणा पुलिस की एक टीम के साथ दिल्ली गया था, जहां डॉ. आनंद कुमार कथित तौर पर रहते थे और संगठन चलाते थे, लेकिन उनके पते पर कोई नहीं था। हम बाद में एक प्राइवेट बैंक की दिल्ली ब्रांच में गए और कई अन्य लोगों के बारे में पर्याप्त सबूत इकट्ठा किए। इसके बाद जांच ठंडी पड़ गई और आरोपियों का कभी पता नहीं चल सका। इस बीच पटेल ने और सबूत जुटाए और दिसंबर 2023 में मेहसाणा एसपी के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। मामला सामने आने के बाद मेडिकल एजुकेशन में बढ़ रहा फॉर्ड बड़ा कंसर्न बनता जा रहा है।

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