इन्फोसिस का चाय वाला, आज बिजनेस टायकून! 10वीं पास दादासाहेब की कहानी चौंका देगी

Published : Oct 19, 2024, 02:13 PM ISTUpdated : Oct 22, 2024, 11:27 AM IST
Dadasaheb Bhagat success story

सार

10वीं पास दादासाहेब ने नारायण मूर्ति की कंपनी में चाय सर्विस से शुरुआत की और आज एक सफल बिजनेस टायकून हैं। उनकी प्रेरणादायक कहानी जानिए।

Startup Success Story: महाराष्ट्र के छोटे से गांव बीड़ में एक युवा लड़का था, दादासाहेब भगत। उसका सपना था एक ऐसा जीवन, जिसमें संभावनाओं और सफलताओं की कोई कमी न हो। उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे एक असाधारण यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित किया। उसने अपने गांव को अलविदा कहते हुए, पुणे की ओर कदम बढ़ाए। वह जानता था कि उसे अपने भाग्य को फिर से गढ़ना है। बिना किसी विशेष संसाधन के, उसने नारायण मूर्ति की इन्फोसिस में रूम सर्विस अटेंडेंट के रूप में काम शुरू किया। उस समय उसकी तनख्वाह मात्र 9,000 रुपये थी। लेकिन उसकी मेहनत और उम्मीद ने उसकी जिंदगी की कहानी को बदलने का बीड़ा उठाया।

किसान परिवार का लड़का, 10वीं तक की पढ़ा

दादासाहेब ने सिर्फ अपनी स्कूली शिक्षा ही पूरी की थी, लेकिन फिर भी अपने गांव के सीमित संसाधनों को छोड़कर पुणे की ओर बढ़ा। उसकी पृष्ठभूमि साधारण थी, उसका परिवार कृषि में था और उसने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की।

दादासाहेब भगत का पहला स्टार्टअप

इसी बीच उसने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) में एक डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया। इस डिप्लोमा के आधार पर, उसने इन्फोसिस के अतिथि गृह में काम शुरू किया। यहीं से उसकी उद्यमिता की यात्रा की शुरुआत हुई। उसने अपने पहले स्टार्टअप, Ninthmotion की स्थापना की और बहुत जल्दी ही उसने दुनियाभर में लगभग 6,000 ग्राहकों को सेवा देना शुरू कर दिया। इस क्रम में 9XM म्यूजिक चैनल भी शामिल था।

डिजाइन और क्रिएटिविटी का सफर

दादासाहेब की कहानी को और भी दिलचस्प तब बनी जब उसने Python और C++ की गहनता में खुद को डुबो दिया। उस समय वह एक ग्राफिक डिजाइन फर्म में एक प्रमुख खिलाड़ी था। उसने एक क्रांतिकारी विचार तैयार किया - एक ऐसा लाइब्रेरी जिसमें पुनः प्रयोग करने योग्य टेम्पलेट्स हों, जिन्हें वह ऑनलाइन मार्केट कर सके। बहुत जल्दी, उसकी पहचान बनी और उसने भारत में एक ऐसी पहल की जो Canva के समान थी।

जीवन में आया दुर्घटना का काला साया

फिर एक दिन, भाग्य ने दादासाहेब के जीवन में एक काला साया डाल दिया। एक भयानक कार दुर्घटना ने उसे बिस्तर पर सीमित कर दिया। लेकिन दादासाहेब ने हार नहीं मानी। इस कठिन समय को उसने एक अमूल्य अवसर के रूप में लिया। उसने अपने काम को छोड़कर अपनी ऊर्जा को अपनी सच्ची रुचियों में लगाने का निर्णय लिया - डिजाइन लाइब्रेरी बनाने में और इस तरह Ninthmotion की संकल्पना हुई।

दादासाहेब भगत की सफलता की कहानी

Ninthmotion ने न केवल इंडस्ट्री में हलचल मचाई, बल्कि दादासाहेब को बीबीसी स्टूडियोज और 9XM जैसे प्रतिष्ठित कस्टमर के साथ एक अद्भुत कस्टमर बेस भी दिया। उसकी यात्रा ने यह साबित किया कि अगर आपके भीतर जुनून हो और आप संघर्ष के समय भी हार न मानें, तो आप अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं।

आज का दादासाहेब

दादासाहेब भगत की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक साधारण शुरुआत से असाधारण सपने साकार होते हैं। उसकी मेहनत, समर्पण और अनूठे दृष्टिकोण ने उसे न केवल व्यक्तिगत सफलता दिलाई, बल्कि वह अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन गया।आज दादासाहेब भगत की पहचान एक सफल उद्यमी के रूप में है। उसने नारायण मूर्ति की ऑफिस में एक साधारण सर्विस अटेंडेंट के रूप में शुरुआत की थी और आज वह अपने खुद के बिजनेस का मालिक है।

ये भी पढ़ें

जॉब छोड़ 6 लाख में शुरू किया Suta, अब करोड़ों कमा रही बिस्वास सिस्टर्स

ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर्स हरे रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं? जानिए कारण

PREV
AT
About the Author

Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...

Recommended Stories

Pariksha Pe Charcha 2026: रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट 11 जनवरी, ऐसे करें ऑनलाइन अप्लाई
2025 के 10 सबसे चर्चित IAS अफसर, जिनपर रही देश की नजर