
How to become a judge in India: हर लॉ स्टूडेंट या फिर कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाला वकील अपने करियर में कभी न कभी ये सपना जरूर देखता है कि काश एक दिन वो जज बन जाए। जज बनना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी और सम्मान की बात होती है। अदालत में जज का काम केवल फैसले सुनाना नहीं, बल्कि न्याय की बुनियाद को मजबूत करना है। लेकिन क्या सिर्फ वकालत करना ही जज बनने के लिए काफी है? इसका जवाब है नहीं। इसके लिए कुछ खास योग्यताएं पूरी करनी पड़ती हैं, जरूरी एग्जाम पास करने होते हैं और एक पूरा प्रोसेस फॉलो करना पड़ता है। जानिए एक वकील कैसे जज बन सकता है, कौन-सी परीक्षा देनी पड़ती है और आगे का करियर ग्रोथ कैसा होता है।
जज बनने के लिए योग्यता की बात करें तो, सबसे पहले कैंडिडेट को भारतीय नागरिक होना चाहिए। किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री होनी चाहिए। बार काउंसिल ऑफ इंडिया में बतौर वकील रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। हाई ज्यूडिशियरी (जैसे जिला जज) के लिए कम से कम 7 साल की प्रैक्टिस का अनुभव जरूरी है। उम्र सीमा अलग-अलग स्टेट में बदलती है। लोअर ज्यूडिशियरी के लिए आमतौर पर 21 से 35 साल तक, जबकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए उम्र की सीमा ज्यादा होती है।
वकील से जज बनने के मुख्य रूप से 2 रास्ते हैं-
लोअर ज्यूडिशियरी एग्जाम (Civil Judge या Judicial Magistrate)
LLB पूरी करने के बाद सीधे इस एग्जाम के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसे PCS-J एग्जाम भी कहा जाता है। इसमें लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों होते हैं। पहले बिना अनुभव भी बैठ सकते थे, लेकिन 2025 से सुप्रीम कोर्ट ने कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस जरूरी कर दी है। अगर किसी ने जज के साथ लॉ क्लर्क के तौर पर काम किया है, तो वो अनुभव भी 3 साल की प्रैक्टिस में गिना जाएगा।
हायर ज्यूडिशियरी एग्जाम (District Judge Entry)
इसमें अप्लाई करने के लिए वकील के पास कम से कम 7 साल का अनुभव होना चाहिए। इसे Higher Judicial Service Exam (HJS) कहा जाता है। इसमें भी लिखित एग्जाम और इंटरव्यू के साथ-साथ आपके अनुभव को भी देखा जाता है।
जज बनने के लिए Judicial Services Exam देनी होती है। यह परीक्षा ज्यादातर स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन या हाई कोर्ट करवाती है। इसमें तीन स्टेप होते हैं-
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शुरुआत सिविल जज या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से होती है। इसके बाद प्रमोशन पाकर सीनियर जज, फिर डिस्ट्रिक्ट जज बन सकते हैं। आगे चलकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने का मौका भी मिल सकता है। खास मामलों में अनुभवी और प्रतिष्ठित वकीलों को सीधे हाई कोर्ट जज भी बनाया जाता है।
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