
Preamble Explained for Students: भारत का संविधान बहुत बड़ा है, लेकिन उसकी आत्मा सिर्फ कुछ लाइनों में लिखी है। इन्हीं लाइनों को प्रीएंबल (Indian Constitution Preamble) कहा जाता है। जैसे किसी किताब की शुरुआत में बताया जाता है कि वह किताब किस बारे में है, उसी तरह भारत के संविधान की प्रीएंबल बताती है कि हमारा देश कैसा होगा, हमें कौन-से मूल्य अपनाने हैं और नागरिकों को क्या गारंटी मिलती है। किसी भी स्टूडेंट के लिए प्रीएंबल समझना जरूरी है क्योंकि यहीं से संविधान का असली अर्थ शुरू होता है। जानिए
'हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को- सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर, अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई (मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एततद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।'
'हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा अपने सभी नागरिकों को, न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता का आश्वासन देने के लिए यह संविधान अपनाते हैं।'
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यह बताती है कि भारत की नींव किन विचारों पर रखी गई है। यह UPSC, SSC, Railway, NDA, State Exams जैसे कई एग्जाम में पूछा जाता है। यह सिविक सेंस बढ़ाती है और यह आपके अधिकारों और कर्तव्यों की समझ को मजबूत करती है।
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