कारगिल में शहीद पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने छोड़ दिया IIM, जानिए अब क्या करेंगे

Published : May 22, 2023, 01:07 PM ISTUpdated : May 22, 2023, 02:11 PM IST
kargil martyr son1

सार

कारगिल शहीद के बेटे ने कैट एग्जाम क्वालिफाई करने के बाद आईआईएम इंदौर में एडमिशन न लेने का निर्णय लिया है। अब वह पिता की इच्छा पूरी करने के लिए इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लेने जा रहे हैं।

एजुकेशन डेस्क। कागिल शहीद के बेटे ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कैट का एग्जाम क्रैक करने के बाद भी आईआईएम इंदौर में एडमिशन नहीं लेने का फैसला किया है। दलअसल उनके पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा भी उनकी तरह आर्मी ऑफिसर बने। ऐसे में पिता का सपना पूरा करने के लिए अब जून में वह इंडियन मिलिट्री एकेडमी ज्ववाइन करने जा रहा है। 

कारगिल शहीद लांस नायक क्रुष्नाजी समृत के छोटे बेटे प्रज्ज्वल ने कड़ी मेहनत और दिन रात पढ़ाई कर कैट का एग्जाम क्वालिफाई किया. अच्छे मार्क्स से कैट क्वालिफाई करने के साथ उन्हें इंदौर आईआईएम से एडमिशन के लिए कॉल लेटर आया लेकिन उन्होंने वहां दाखिला नहीं लिया। उन्होंने एमबीए नहीं करने का फैसला लिया है। 

ये भी पढ़ें. इस पिता से सीखें देशभक्ति: एक बेटा देश के लिए शहीद, अंतिम संस्कार में ही कहा- दूसरा बेटा दुश्मनों से लड़ेगा

आईएमए (IMA) में लेंगे एडमिशन
लांस नायक के बेटे प्रज्ज्वल इंडियन मिलिट्री एकेडमी ज्वाइन करने जा रहे हैं। उनके पिता की इच्छा थी की उनका बड़ा बेटा कुनाल आर्मी ज्वाइन करे लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग चुना। ऐसे में प्रज्ज्वल ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आर्मी ज्वाइन करने का मन बनाया है। वह देहरादून में जून से एक कैडेट के तौर पर आईएमए ज्वाइन करने जा रहे हैं।    

ये भी पढ़ें. शहीद की पत्नी सेना में बनी लेफ्टिनेंट, बहू के कंधे पर स्टार देख भावुक हुए सास-ससुर, बोले-अब बेटे का सपना होगा पूरा

आसान नहीं था एसएसबी क्वालिफाई करना 
शहीद के बेटे प्रज्ज्वल का आईएमए तक का सफर आसान नहीं था। नौ बार एसएसबी (SSB) इंटरव्यू देने के बाद उन्हें सफलता हासिल हुई है। प्रज्ज्वल का कहना था कि आर्मी के लिए तैयारी करने के साथ ही उन्होंने एमबीए करने का बैकअप प्लान भी तैयार किया था ताकि फ्यूचर सिक्योर रहे।

1999 में शहीद हुए थे लांस नायक क्रुष्नाजी समृत
नागपुर के पुलगांव  के रहने वाले लांस नायक क्रुष्नाजी समृत कारगिल युद्ध के दौरान वर्ष 1999 में शहीद हो गए थे। पिता के साथ ही उनके परिवार के लोगों की भी इच्छा थी कि उनका एक बेटा आर्मी ऑफिसर बने और देश की सेवा करे। 

PREV

Recommended Stories

ऑफिस में प्रमोशन नहीं मिल रहा? कहीं आप में भी तो नहीं ये 5 बुरी आदतें
कोहरे के दौरान रेलवे कैसे तय करता है कि कौन सी ट्रेन सबसे पहले रद्द होगी? जानिए