
First Woman Officer Indian Army: साल 1992 से पहले भारतीय सेना में महिलाएं केवल डॉक्टर या नर्स की भूमिका में ही सेवा दे सकती थीं। मगर हिमाचल प्रदेश की एक लॉ ग्रेजुएट युवा महिला ने सोचा कि मै भी वर्दी क्यों नहीं पहन सकती? यह महिला थीं प्रिया झिंगन, जिन्होंने भारतीय सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल सुनीथ फ्रांसिस रॉड्रिग्स को एक पत्र लिखा और अनुरोध किया कि महिलाओं को भी सेना में अधिकारी बनने का मौका दिया जाए। कुछ महीनों बाद उन्हें जो जवाब मिला, उसने इतिहास बदल दिया। सेना ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के तहत महिलाओं के लिए दरवाजे खोल दिए।
साल 1992, चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) के परेड ग्राउंड पर उस सुबह कुछ ऐतिहासिक होने वाला था। सूरज की रोशनी में चमकते उस मैदान पर एक युवती कदम बढ़ा रही थी और उसी पल भारतीय सेना के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा जा रहा था। उनका नाम था मेजर प्रिया झिंगन, जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा लेडी कैडेट नंबर 1 के रूप में। वो भारतीय सेना में नॉन मेडिकल रोल में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।
21 सितंबर 1992 को जब OTA में पहली बार 25 महिला कैडेट्स ने ट्रेनिंग शुरू की, तो सबसे आगे खड़ी थीं कैडेट नंबर 001- प्रिया झिंगन। उनका सपना था, एक अलग और खास जिंदगी जीने का। कठिन ट्रेनिंग के बाद उन्हें जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच में कमीशन मिला, जो सेना के कानूनी मामलों से जुड़ी होती है। अगले दस सालों तक उन्होंने वर्दी में रहकर देश की सेवा की और फिर मेजर के पद से रिटायर हुईं।
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रिटायरमेंट के बाद भी प्रिया झिंगन का जुनून खत्म नहीं हुआ। उन्होंने पत्रकारिता और अध्यापन का रास्ता चुना और नई पीढ़ी की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं। वो कहती हैं, वर्दी कभी आपको छोड़ती नहीं है, वो आपकी पहचान बन जाती है। उन्होंने भारतीय सेना में महिलाओं की इंट्री का रास्ता खोला और उनके बाद कई महिलाएं आईं, जिसमें- चीन बॉर्डर पर आर्मी यूनिट की कमान संभालने वाली पहली महिला कर्नल गीता राणा। गणतंत्र दिवस पर ऑल-मेल कंटिंजेंट का नेतृत्व करने वाली पहली महिला लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी। आर्मी डे परेड की पहली महिला परेड एडजुटेंट कैप्टन तानिया शेरगिल। भारतीय सशस्त्र बलों में तीन-स्टार रैंक पाने वाली सिर्फ तीन महिलाओं में से एक लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर।
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