NCERT: अब रामायण, महाभारत भी पढ़ेंगे स्कूली छात्र, सोशल साइंस के टेक्स्टबुक में होगा शामिल

एनसीईआरटी द्वारा गठित 7 सदस्यीय समिति ने सोशल साइंस पेपर के लिए कई सिफारिशें की हैं। जिसमें टेक्स्टबुक में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने की बात कही गई है। डिटेल आगे पढ़ें।

NCERT: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने सोशल साइंस टेक्स्टबुक में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने की सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सीआई इस्साक के अनुसार पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सोशल साइंस टेक्सटबुक सिलेबस के लिए कई सिफारिशें की हैं, जो नई एनसीईआरटी टेक्स्ट बुक डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण इंस्ट्रक्शनल डॉक्यूमेंट्स है।

जुलाई में अंतिम रूप

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समिति की सिफारिश पर अब इन कक्षाओं के लिए सिलेबस, टेक्स्ट बुक्स और टीचिंग मटेरिअल को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19-सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) द्वारा विचार किया जा सकता है। एनएसटीसी ने हाल ही में सिलेबस और टीचिंग मटेरिअल डेवलप करने के लिए सोशल साइंस के लिए एक पाठ्यचर्या क्षेत्र समूह (सीएजी) का गठन किया है।

कक्षा 7 से 12 तक के सिलेबस में होगा शामिल

इस बात पर जोर देते हुए कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है, इस्साक के अनुसार समिति ने छात्रों को सोशल साइंस सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। इसके पीछे सोच यह है कि किशोरावस्था में छात्र में अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का निर्माण होता है। हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।

संविधान की प्रस्तावना कक्षाओं की दीवारों पर

पिछले साल बनी सात सदस्यीय कमेटी ने अन्य कई सिफारिशें की हैं। बता दें कि इसी पैनल ने देश का नाम बदलने की भी सिफारिश की थी जिसके अनुसार टेक्स्ट बुक्स में 'इंडिया' की जगह 'भारत', प्राचीन इतिहास की जगह 'शास्त्रीय इतिहास' लिखने की सिफारिश की थी। कक्षा 3 से 12 तक की किताबों में "हिंदू जीत" पर प्रकाश डालना शामिल था। साथ ही "हमारी प्रस्तावना लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता सहित सामाजिक मूल्यों को महत्व देती है इसलिए, इसे कक्षाओं की दीवारों पर लिखने की सिफारिश की है ताकि हर छात्र इसे समझ और सीख सकें। उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप स्कूली सिलेबस में संशोधन कर रहा है।

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