
Pariksha Pe Charcha 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों को तिल के लड्डू बांटकर की। इस बार कार्यक्रम को और खास बनाने के लिए इसे खुले मैदान में आयोजित किया जा रहा है, न कि ऑडिटोरियम में। कार्यक्रम में छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षकों से संवाद कर रहे हैं। यह इस आयोजन का आठवां संस्करण है, जिसमें न केवल पीएम मोदी बल्कि कई जानी-मानी हस्तियां भी शामिल हो रही हैं। इस खास आयोजन में पीएम मोदी के अलावा, आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु, बॉलीवुड स्टार दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी, ओलंपियन मैरी कॉम और पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अवनी लेखरा जैसी हस्तियां भी हिस्सा ले रही हैं। जानिए इस बार छात्रों ने क्या प्रश्न पूछे और पीएम मोदी ने क्या जवाब दिये।
MyGov पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 3.30 करोड़ से अधिक छात्रों, 20.71 लाख से अधिक शिक्षकों और 5.51 लाख से अधिक छात्रों ने परीक्षा पे चर्चा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन कराया।
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इस प्रश्न पर पीएम मोदी बोले- अपने उत्तरों का नियमित अभ्यास करें। अक्सर, परीक्षाओं में, हम उन उत्तरों के बारे में सोचने में अधिक समय बिताते हैं जिनके बारे में हम बहुत आश्वस्त नहीं होते हैं और जब तक हम इसे पूरा करते हैं, तब तक काफी समय नष्ट हो जाता है। इस पर काबू पाने का एकमात्र तरीका अपने उत्तरों का नियमित रूप से अभ्यास करना और अपने समय का प्रबंधन करना है।
एक बच्चे के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि उनकी बात सुनें और उन्हें यह भी बताने का प्रयास करें कि आप क्या सोचते हैं और समाधान पूछें। वे इस पर विचार भी करेंगे और आपकी बात भी समझ सकते हैं।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के प्रश्न पर पीएम ने कहा कि टेक्नोलॉजी से दूर मत भागिए. आप प्रौद्योगिकी के युग में आगे बढ़ रहे हैं। हमें प्रौद्योगिकी को जानने, समझने और सर्वोत्तम तरीके से इसका उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।
फेल होने से डरें नहीं। फेल होने वाले क्या करते हैं - दोबारा परीक्षा देते हैं। सेल्फ मोटीवेटेड रहें। परीक्षा का महत्व या बोर्ड मार्क्स का महत्व नहीं, आपके जीवन का महत्व है। अपनी असफलताओं को अपना शिक्षक बनायें। सफलता को केवल शैक्षणिक सफलता के रूप में नहीं बल्कि समग्र रूप से देखें।
एक छात्रा के सवाल का जवाब देते हुए, जो अपने बोर्ड में 93 प्रतिशत अंक प्राप्त करने से नाखुश थी, जबकि उसका लक्ष्य 95 प्रतिशत था, पीएम ने कहा कि यह उसकी विफलता नहीं बल्कि सफलता थी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने लक्ष्य प्राप्त करने योग्य सीमा के भीतर रखना चाहिए। उन्होंने छात्रा को अपना लक्ष्य अपनी ताकत से दो अंक ऊपर रखने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा यदि आप अपना लक्ष्य 97 पर रखते हैं, तो आपको निश्चित रूप से 95 मिलेंगे।
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पीएम ने कहा कि मैं माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरों से न करें। अपने बच्चों के खास स्किल को पहचानें और उसे बढ़ावा दें। उन्होंने टीचर्स से भी यही बात कही कि केवल कुछ स्टूडेंट्स को बढ़ावा न दें, सभी को मौका दें।
पीएम मोदी ने छात्रों से बातचीत करते हुए नींद और आहार के महत्व पर बोले। उन्होंने कहा- बीमारी न होने का मतलब यह नहीं है कि हम स्वस्थ हैं, अच्छी नींद और आहार बेहद जरूरी है। साथ ही उन्होंने सुबह 10 मिनट रोज सूर्य स्नान और पेड़ के नीचे खड़े होकर गहरी सांस लेने का महत्व समझाया। साथ ही क्रिकेटरों को उपमा देते हुए पीएम ने छात्रों को दबाव पर ध्यान न देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि, जैसे बल्लेबाज स्टेडियम में मंत्रोच्चार और शोर को नजरअंदाज कर गेंद पर ध्यान केंद्रित करता है, उसी तरह छात्रों को भी दबाव के बारे में सोचने के बजाय पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
सफलता के लिए पीएम ने छात्रों को कहा कि लिखने की आदत विकसित करें।
इस प्रश्न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में सोचें कि आप अपने समय का सर्वोत्तम उपयोग कैसे कर सकते हैं। एक कागज के टुकड़े पर लिख लें कि आप अगले दिन क्या करना चाहते हैं। अपना अधिकतम समय उन विषयों में न लगाएं जो आपको सबसे अधिक पसंद हों और कम से कम उन विषयों में जो आपको पसंद न हों। इसका उलटा करें, कठिन विषयों को चुनौती के रूप में लें।
छात्रों के इस प्रश्न पर पीएम मोदी ने कहा कि अपनी समस्याओं और कठिनाइयों को किसी को, परिवार या मित्र आदि को बताने का प्रयास करें, इससे बन रहा दबाव कम हो सकता है। सुनना और उसकी परवाह करना लोगों के स्वभाव में है। इसलिए अपने प्रियजनों के साथ अपने विचार साझा करने का प्रयास करें और अपने डर को दूर करें। आप कभी परेशान नहीं होंगे।
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शौक और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज के बारे में पीएम ने कहा कि माता-पिता को यह समझना चाहिए कि कोई रोबोट की तरह नहीं रह सकता। पीएम ने कहा कि बच्चों को अपने जुनून को पूरा करने के लिए खुली छूट की जरूरत है न कि सिर्फ किताबों तक ही सीमित रहने की। उन्हें खुले आसमान के नीचे रहने और अपनी पसंद की चीजें करने की जरूरत है। अगर उन्हें उनके पसंदीदा काम करने दिया जाए तो वे पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, किसी को इस धारणा के साथ नहीं रहना चाहिए कि परीक्षा ही जीवन में सब कुछ है।
पीएम मोदी ने शिक्षको से अपील की कि सलाह मत दो, कोशिश करें और देखें कि उनमें क्या गुण हैं। उन्हें लगेगा कि आप उनमें रुचि ले रहे हैं। शिक्षकों को छात्रों की खास प्रतिभा को खोजना और उसे बढ़ाना चाहिए।