
Pavan Guntupalli Rapido Success Story in Hindi: आज के समय में ज्यादातर IIT ग्रेजुएट इंजीनियर्स कैंपस से ही सीधा जॉब लेकर सेट हो जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो आसानी से जॉब ले कर आराम की जिंदगी जीने के बजाय, अपनी अलग मंजिल सेट करते हैं। उस मंजिल तक पहुंचने के लिए रास्ता भी खुद ही बनाते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं Rapido के को-फाउंडर पवन गुंटुपल्ली। जिन्होंने हाई-फाई कंपनी में हाई सैलरी जॉब लेकर सेट होने के बजाय, अपना बिजनेस शुरू करने का रिस्क उठाया। उनका यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। जानिए पवन गुंटुपल्ली की सक्सेस स्टोरी।
पवन गुंटुपल्ली तेलंगाना के रहने वाले हैं। उन्हें बचपन से ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और स्टॉक मार्केट में दिलचस्पी थी। पढ़ाई में भी शुरू से ही तेज थे। यही वजह रही कि उन्होंने IIT-JEE जैसी मुश्किल परीक्षा पास की। उन्होंने IIT खड़गपुर से अपनी बीटेक की डिग्री पूरी की।
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IIT से बीटेक की डिग्री लेने के बाद पवन गुंटुपल्ली ने अपना करियर Samsung कंपनी के साथ शुरू किया। यहां उन्होंने टेक्नोलॉजी सेक्टर में एक्सपीरिएंस हासिल किया। कुछ सालों तक विदेश में नौकरी करने के बाद, अपना कुछ करने का सपना लिए देश लौटे। 6 बार स्टार्टअप में फेल हुए लेकिन हार नहीं मानी। फिर उन्होंने अपने दोस्त अरविंद सांका के साथ मिलकर एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप theKarrier (दकैरियर) की शुरुआत की। यह आइडिया भी नया था लेकिन जमीनी चुनौतियों के कारण यह कंपनी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई और बंद हो गई।
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पवन गुंटुपल्ली को अपने पहले के स्टार्टअप की नाकामी से झटका तो लगा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसी बीच ट्रैफिक जाम की समस्या की ओर उनका ध्यान गया। ओला, उबर जैसे कैब सर्विस थे लेकिन ये महंगे थे। उन्होंने ऑब्जर्ब किया कि मेट्रो शहरों के बाहर, छोटे शहरों में भी लोगों को रोजाना ट्रैफिक और महंगे किराए की दिक्कत झेलनी पड़ती है। इसी परेशानी को समझकर उन्होंने शुरू किया Rapido, एक बाइक टैक्सी सर्विस, जो कम खर्च में तेजी के साथ और आसान सफर का ऑप्शन देती है।
पवन गुंटुपल्ली के लिए Rapido की शुरुआत आसान नहीं थी। जब पवन ने अपने इस आइडिया को इन्वेस्टर्स के सामने पेश किया, तो उन्हें लगातार 75 इनवेस्टर्स के रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। लोगों को लगा कि Ola और Uber जैसे दिग्गज ब्रांड्स के बीच Rapido नहीं टिक पाएगा। लेकिन बड़ा मोड़ तब आया, जब हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मु़ंजाल को रैपिडो का आइडिया बुहत पसंद आया और उन्होंने इसमें इनवेस्ट भी किया। उनके बाद और कई इन्वेस्टर्स भी जुड़े और 2016 में रैपिडो की ऑफिशियल शुरुआत हुई।
जहां ओला और उबर मेट्रो सिटीज पर फोकस कर रहे थे, रैपिडो ने अपनी स्ट्रेटजी को छोटे शहरों पर फोकस किया। अब उनका मकदस टियर 1 और टियर 2 शहरों में लोगों को सस्ती और भरोसेमंद ट्रांसपोर्ट सुविधा देना था। शुरुआत में रैपिडो ने 15 रुपए बेस फेयर और 3 रुपए प्रति किलोमीटर रेट रखा, जो लोगों के लिए बहुत किफायती था, लेकिन इस रेट के साथ मुनाफा कमाना कंपनी के लिए बड़ी चुनौती भी बना। लेकिन फिर भी पवन गुंटुपल्ली और उनकी टीम की मेहनत और इनोवेशन ने धीरे-धीरे इस सर्विस को खड़ा किया और बड़ा बना दिया।
रैपिडो आज 100 से ज्यादा शहरों में अपनी सेवाएं दे रहा है। इसके 5 करोड़ से ज्यादा ऐप डाउनलोड हो चुके हैं। 7 लाख एक्टिव यूजर्स और 50,000 राइडर कंपनी से जुड़े हुए हैं। Rapido की मौजूदा वैल्यूएशन लगभग 9350 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। बता दें कि फूड डिलीवरी कंपनी Swiggy भी Rapido में बड़ी इनवेस्टर है। इस तरह अब कंपनी की सालाना कमाई 1000 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुकी है।