पीएम मोदी ने शेयर किया उस्मान मीर का श्री रामजी पधारे भजन, जानिए कौन है यह गायक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस्मान मीर द्वारा गाये भजन, "श्री रामजी पधारे" के माध्यम से भगवान राम की भक्ति में डूबने का हार्दिक निमंत्रण दिया। और इस भजन वीडियो शेयर किया। जानिए कौन हैं उस्मान मीर।

Anita Tanvi | Published : Jan 10, 2024 11:39 AM IST / Updated: Jan 11 2024, 08:32 AM IST

पीएम मोदी ने उस्मान मीर द्वारा गाया गया भक्ति गीत, "श्री रामजी पधारे" भजन वीडियो को अपने 'एक्स' पर शेयर किया है। यह भजन न केवल अपने दृश्यों से मंत्रमुग्ध कर देता है बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। इसे शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा है, “अयोध्या नगरी में श्री राम जी के पधारने को लेकर हर ओर उमंग और उल्लास है। उस्मान मीर जी का या मधुर राम भजन सुनकर आपको इसी तरह की दिव्य अनुभूति होगी।” जैसे ही आप मधुर भजन सुनते हैं, दिव्य संगीत आपके स्ट्रेस को दूर कर देता है, शांति प्रदान करता है। यह संगीतमय पेशकश पूरी तरह से भक्ति की भावना से भरी है और व्यक्तियों को संगीत की शक्ति के माध्यम से परमात्मा से जुड़ने के लिए आमंत्रित करती है। सुनिये

 

 

उस्मान मीर कौन है?

उस्मान मीर का जन्म 22 मई 1974 को वायोर (कच्छ, गुजरात) में हुआ था। उनके पिता का नाम हुसेनभाई और माता का नाम सकीनाबानू है। उनकी संगीत यात्रा एक निम्नवर्गीय परिवार में शुरू हुई। उनके पिता हुसेनभाई भजन और संतवाणी की गुजराती लोक शैली में तबला वादक थे। उन्होंने उसमान मीर की संगीत में प्रारंभिक रुचि को प्रेरित किया।

हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद तबला वादक के रूप में करियर की शुरुआत

उस्मान मीर ने भूलाभाई मानसिंह विद्यालय, लेजा से अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की। इकके बाद, उस्मान ने औपचारिक पढ़ाई को अलविदा कह दिया और खुद को अपने पिता की संगीतमय शिक्षा में डुबो दिया। उन्होंने अपने पिता के मार्गदर्शन में तबला सीखना शुरू किया। 13 साल की उम्र से पहले से ही वे अपने पिता के साथ लाइव प्रोग्राम में परफॉर्म कर रहे थे। मीर ने अपने करियर की शुरुआत स्वर्गीय श्री नारायण स्वामी के साथ तबला वादक के रूप में की थी। हालांकि उस्मान मीर का असली जुनून हमेशा गायन में था। उन्होंने गायन की शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ली, इस दौरान उन्होंने बुनियादी पाठ सीखा और बाद में अपने गुरु इस्माइल दातार से संगीत की औपचारिक ट्रेनिंग ली।

मोरारीबापू के आश्रम से लेकर फिल्म गोलियों की रासलीला राम लीला तक

उनकी गायन क्षमता को पहली बार गुरुपूर्णिमा के शुभ दिन पर तलगाजार्डा में मोरारीबापू के आश्रम में एक संगीत समारोह के दौरान पहचाना गया, जहां पार्थिवभाई (मोरारीबापू के पुत्र) ने उन्हें आध्यात्मिक गुरु से मिलवाया। उस्मान के करियर में एक महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब संजय लीला भंसाली ने स्वर्गीय श्री हेमू गढ़वी द्वारा "मोर बानी थानघाट करे" की प्रस्तुति सुनी, उन्होंने उस्मान को फिल्म गोलियों की रासलीला राम लीला के लिए गीत सौंपने का फैसला किया। इस गीत ने उस्मान को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

उस्मान मीर ने धार्मिक बाधाओं को तोड़ा

उस्मान मीर ने मुख्य रूप से हिंदू मंदिरों और हिंदू महामंडलेश्वरों के आश्रमों में प्रदर्शन करके धार्मिक बाधाओं को तोड़ा है। मोरारी बापू के साथ "रामचरित पारायण" में उनकी अभिन्न भूमिका संगीत के माध्यम से एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने का प्रमाण है।

हमीदाबानू से शादी

उस्मान मीर की शादी हमीदाबानू से हुई है और उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें उनका बेटा आमिर भी शामिल है, जो गायन के शौक के साथ अपने पिता के संगीत के नक्शेकदम पर चल रहा है।

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