UPSC Success Story: भारत के सबसे कठिन परीक्षाओं में गिनी जाने वाली UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता पाना किसी जंग जीतने से कम नहीं होता। संघर्षों और कठिनाइयों से भरी इस यात्रा को सफलतापूर्वक पार करने वाले लोगों की कहानियां न सिर्फ प्रेरणादायक होती हैं बल्कि ये लाखों युवाओं को भी एक उम्मीद देती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है IFS अधिकारी पी. बालामुरुगन की, जिन्होंने अपने जीवन में गरीबी, अभाव और संघर्षों का सामना करते हुए UPSC में सफलता हासिल की।
पी. बालामुरुगन का बचपन आसान नहीं था। 1994 में उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया, जिसके बाद उनकी मां पलनिमल पर आठ बच्चों की जिम्मेदारी आ पड़ी। पलनिमल ने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की थी, जिससे उनके लिए नौकरी ढूंढ़ना मुश्किल था। मजबूरी में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए बालामुरुगन ने अखबार बेचने का काम शुरू किया।
अपनी मां के संघर्ष और हौसले को याद करते हुए बालामुरुगन बताते हैं, "मेरी मां ने हमें कभी हारने नहीं दिया।" उनकी मां ने अपने जेवर और एकमात्र जमीन बेचकर एक छोटा सा घर खरीदा, जहां पूरा परिवार एक मामूली छत के नीचे रहता था। बचपन से ही बालामुरुगन ने अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई जारी रखी और परिवार की मदद भी की।
अखबार बेचते समय बालामुरुगन का किताबों से नाता जुड़ गया और यहीं से उनका पढ़ाई के प्रति जुनून शुरू हुआ। उन्होंने पढ़ाई को अपनी प्राथमिकता बनाकर कठिनाईयों को पार करते हुए पढ़ाई जारी रखी। बाद में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में नौकरी हासिल की।
TCS में कुछ साल काम करने के बाद, बालामुरुगन एक IAS अधिकारी के काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और UPSC परीक्षा की तैयारी में लग गए। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें 2018 में UPSC में सफलता दिलाई और वह भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी बने।
बालामुरुगन की कहानी उन हजारों-लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों को पीछे छोड़ देते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि हालात चाहे कितने भी विपरीत क्यों न हों, अगर हौसला और मेहनत का साथ हो तो हर मंजिल पाई जा सकती है।
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