तीन साल में चार सगे भाई-बहन बन गए IAS, शायद ही किसी घर में हुआ हो ऐसा

Published : Nov 06, 2019, 03:02 PM ISTUpdated : Nov 06, 2019, 03:18 PM IST
तीन साल में चार सगे भाई-बहन बन गए IAS, शायद ही किसी घर में हुआ हो ऐसा

सार

चार सगे भाई-बहनों का आईएएस अफसर बनना उनके मां-पिता के लिए कितने गर्व और खुशी की बात होगी, इसका अंदाज लगाया जा सकता है। तीन साल के भीतर यूपी के चार भाई-बहनों ने यूपीएससी का एग्जाम क्रैक किया और आईएएस अफसर बने। यह अपने आप में एक मिसाल है।

करियर डेस्क। चार सगे भाई-बहनों का आईएएस अफसर बनना उनके मां-पिता के लिए कितने गर्व और खुशी की बात होगी, इसका अंदाज लगाया जा सकता है। तीन साल के भीतर यूपी के चार भाई-बहनों ने यूपीएससी का एग्जाम क्रैक किया और आईएएस अफसर बने। यह अपने आप में एक मिसाल है। इन भाई-बहनों की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा देने वाली है, जो देश की इस सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित सेवा में जाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के लालगंज में रहने वाले मिश्रा परिवार के चार भाई-बहनों ने तीन साल के भीतर यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर एक रिकॉर्ड कायम कर दिया। आज पूरे देश में ऐसी बेमिसाल सफलता हासिल करने वाले इन भाई-बहनों की चर्चा हो रही है। इनके नाम हैं योगेश, लोकेश, क्षमा और माधवी। इनके पिता का नाम है अनिल मिश्रा और मां का कृष्णा मिश्रा। अनिल मिश्रा प्रतापगंज में रीजनल रूरल बैंक में बतौर मैनेजर काम करते थे। उनके चारों बच्चे शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे।

सबसे पहले बड़े भाई योगेश ने साल 2013 में यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल की। उन्हें सिविल सर्सिव एग्जामिनेशन (सीएसई) की रिजर्व लिस्ट में चुना गया। उनकी सफलता से बाकी भाई-बहनों को भी इस परीक्षा में शामिल होने की प्रेरणा मिली। उन्होंने भी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद माधवी ने 2014 में 62वीं रैंक के साथ इस परीक्षा में सफलता पाई। 2014 में लोकेश ने भी सिविल सर्विस की परीक्षा दी थी। उनका नाम रिजर्व लिस्ट में आया, लेकिन उन्होंने एक और प्रयास करने का फैसला किया।

लोकेश ने आईआईटी, दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। लेकिन प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद मुख्य परीक्षा में उन्होंने समाजशास्त्र को मुख्य विषय के रूप में चुना। साल 2015 में दूसरे प्रयास में उन्हें 44वीं रैंक मिली और वे आईएएस अधिकारी बन गए। इसी साल सभी भाई-बहनों में छोटी क्षमा ने भी सिविल सर्विस की परीक्षा दी थी। क्षमा 172वीं रैंक के साथ इस परीक्षा में सफल रहीं। इस तरह मिश्रा परिवार के सभी भाई-बहन आईएएस अफसर बन गए।

इन भाई-बहनों का कहना है कि उन्होंने यह संकल्प ले लिया था कि किसी भी हाल में सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता हासिल करनी है और इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की। इन आईएएस भाई-बहनों ने कहा कि सफलता का मूल मंत्र है संकल्प शक्ति और मेहनत। अगर आपमें दृढ़ इच्छा शक्ति है और आप अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी मेहनत करने को तैयार हों तो कोई भी मुश्किल आड़े नहीं आ सकती। 

 


  
 

PREV

Recommended Stories

UPSC NDA 2026: क्या बिना मैथ्स भी भर सकते हैं फॉर्म?
JEE Main 2026: लास्ट मंथ में ऐसे करें तैयारी, टॉप रैंक पक्की