दोस्त उड़ाते थे मजाक, लेकिन नहीं की कोई परवाह और बनी IAS ऑफिसर

जब जोश और जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल राह में बाधा नहीं बन सकती। इसे साबित किया नंदिनी ने आईएएस ऑफिसर बन कर, जिनका उनके दोस्त अक्सर मजाक उड़ाते थे।

करियर डेस्क। जब जोश और जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल राह में बाधा नहीं बन सकती। इसे साबित किया नंदिनी ने आईएएस ऑफिसर बन कर, जिनका उनके दोस्त अक्सर मजाक उड़ाते थे। उनके दोस्त मजाक उड़ाते हुए कहा करते थे कि इस बार तो तुम टॉप ही करोगी। नंदिनी ने भी यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल कर उनकी बात को सच साबित कर दिया। बता दें कि नंदिनी ने साल 2015 में पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन उन्हें 642वीं रैंक मिली थी। इसके बावजूद उन्होंने आईआरएस सेवा ज्वाइन कर ली थी। लेकिन सर्विस में रहते हुए भी उन्होंने तैयारी करना नहीं छोड़ा और अगले साल 2016 में आईएएस ऑफिसर बनने में कामयाब रहीं। 

सपना था आईएएस बनना
नंदिनी का शुरू से ही सपना था कि वे आईएएस ऑफिसर बनें। कर्नाटक के कोलार जिले की रहने वाली नंदिनी के पिता एक शिक्षक थे। नंदिनी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की। 12वीं की पढ़ाई करने के लिए वे चिकमंगलूर जिले के मूदाबिदरी में आईं और परीक्षा में 94.83 फीसदी अंक हासिल कर अव्वल रहीं। 

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सिविल इंजीनियरिंग में ली डिग्री
इसके बाद नंदिनी ने बेंगलुरु के रमैय्या इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन ले लिया और वहां से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। उन्हें कर्नाटक के पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियर की नौकरी मिल गई। उन्होंने इस सरकारी विभाग में दो साल तक नौकरी की। नंदिनी का कहना है कि यहीं काम करते हुए उन्होंने जमीनी स्तर पर यह देखा कि सरकारी कामकाज कैसे होता है। इसके बाद उन्होंने सोचा कि बड़े स्तर पर बढ़िया काम करने के लिए आईएएस अधिकारी बनना जरूरी है।

शुरू की यूपीएससी की तैयारी
सरकारी नौकरी में रहते हुए भी समय निकाल कर नंदिनी ने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। इसे उनकी मेहनत और अच्छी किस्मत कहेंगे कि पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिल गई, पर रैंक अच्छी नहीं होने के कारण आईआरएस में अधिकारी का पद मिला। नंदिनी इसकी ट्रेनिंग के दौरान ही दिल्ली स्थित एक कोचिंग संस्थान से जुड़ कर फिर यूपीएससी एग्जाम की तैयारी में लग गईं। इस बार उन्हें सफलता मिली और उन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने का अपना सपना पूरा कर लिया। 

अपना सर्वश्रेष्ठ दें
दो साल तक कर्नाटक में पीडब्ल्यूडी में और एक साल आईआरएस में नौकरी करने वाली नंदिनी का कहना है कि हमारा मकसद यही होना चाहिए कि हम जहां भी रहें, अपना सर्वश्रेष्ठ दें। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की चुनौतियां अलग होती हैं और उन्हें समझना पड़ता है। प्रशासनिक सेवा की चुनौतियां खास तरह की होती हैं। उन्होंने कहा कि इस सेवा में रहते हुए हम समाज के लिए काफी सकारात्मक काम कर सकते हैं, जो दूसरे क्षेत्र में संभव नहीं है। नंदिनी का कहना है कि एक प्रशासक अगर अपने इरादे का पक्का हो और चुनौतियां स्वीकार करने के लिए तैयार रहता हो तो समाज के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकता है। 

साहित्य में भी रखती हैं रुचि
इंजीनियरिंग की स्टूडेंट होने के बावजूद नंदिनी की कन्नड़ साहित्य में खास रुचि थी। वे साहित्यिक किताबें काफी पढ़ा करती थीं। यही वजह है कि उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में वैकल्पिक विषय के रूप में कन्नड़ साहित्य लिया था, जिससे उन्हें काफी मदद मिली। नंदिनी का कहना है कि सफलता हमारे दृष्टिकोण से मिलती है। अगर हमारी सोच सकारात्मक है और हम लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प बनाए रखते हैं तो सफलता मिल कर ही रहती है। नंदिनी का कहना है कि वह एक आदर्श प्रशासक बनना चाहती हैं और यह उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं।  
 

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