कई बार जिद और जुनून भी सफलता दिलाने में सहायक बन जाती है। आशुतोष द्विवेदी के मामले में इसे सच माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गांव के रहने वाले आशुतोष द्विवेदी को यूपीएससी में सफलता आसानी से नहीं मिली।
करियर डेस्क। कई बार जिद और जुनून भी सफलता दिलाने में सहायक बन जाती है। आशुतोष द्विवेदी के मामले में इसे सच माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गांव के रहने वाले आशुतोष द्विवेदी को यूपीएससी में सफलता आसानी से नहीं मिली। बता दें कि चौथे प्रयास में साल 2017 में इन्हें इस परीक्षा में सफलता मिली। इन्हें 70वीं रैंक हासिल हुई। कई कैंडिडेट ऐसे होते हैं जो दो-तीन बार की असफलता के बाद हिम्मत हार जाते हैं और आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं, लेकिन आशुतोष द्विवेदी ने आखिर तक हार नहीं मानने की जिद ठान ली थी। यही इनकी सफलता का मूल मंत्र बना।
यूपी के रायबरेली के हैं आशुतोष
आशुतोष द्विवेदी उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के एक छोटे-से गांव के रहने वाले हैं। वे एक साधारण परिवार से आते हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी गांव में ही हुई। आशुतोष बचपन से ही पढ़ने में तेज थे। उनकी एक और खासियत थी कि जो करने का संकल्प वे ले लेते थे, उसे पूरा कर के ही मानते थे।
भाई से मिली यूपीएससी में भाग लेने की प्रेरणा
आशुतोष द्विवेदी को अपने बड़े भाई से यूपीएससी एग्जाम में भाग लेने की प्रेरणा मिली। उनके बड़े भाई भी यूपीएससी का एग्जाम देते थे। वे फाइनल तक पहुंच गए थे, लेकिन इंटरव्यू में उन्हें सफलता नहीं मिली। भाई के संघर्ष को देख कर आशुतोष द्विवेदी के मन में भी इस प्रतिष्ठित सेवा में जाने की इच्छा पैदा हुई और उन्होंने संकल्प ले लिया कि चाहे जितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े, यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल करके ही रहना है।
सरकारी स्कूल से की थी पढ़ाई
आशुतोष द्विवेदी ने पढ़ाई सरकारी स्कूल से की थी और उनकी पृष्ठभूमि भी हिंदी वाली थी। लेकिन उन्होंने इसे अपने लक्ष्य को हासिल करने में बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड में नौकरी शुरू कर दी, लेकिन साथ ही वे यूपीएससी एग्जाम की तैयारी भी करते रहे।
दो बार मिली असफलता
आशुतोष द्विवेदी ने दो बार प्रिलिम्स परीक्षा पास कर ली, लेकिन मेन्स में उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे परीक्षा की तैयारी में और भी जोर-शोर से लग गए। तीसरी बार में उन्हें सफलता तो मिली, लेकिन रैंक कम होने की वजह से उन्हें असिस्टेंट सिक्युरिटी कमिश्नर की जॉब मिल रही थी। इसके बाद आशुतोष द्विवेदी ने चौथी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया। इस बार इन्हें 70वीं रैंक मिली। इसी के साथ आईपीएस बनने का मौका भी मिल गया। आशुतोष कहते हैं कि बार-बार की असफलता से घबरा कर बैठ जाने से लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता। आशुतोष सफलता का तीन मूल मंत्र बताते हैं - जुनून, धैर्य और कभी हार नहीं मानने की जिद। उनका कहना है कि इसी के बल पर उन्होंने कई बार असफल होने के बावजूद सफलता हासिल की।