Zoology में मास्टर हैं गुलाब नबी आजाद, शायरी लिखने में है दिलचस्पी, फूलों से गजब का लगाव

कांग्रेस के दिग्गज और वरिष्ठ नेता गुलाब नबी आजाद ने 73 साल की उम्र में पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पेज का इस्तीफा भेजा है और कई मुद्दों की याद भी दिलाई है। कांग्रेस में लंबे दिनों के सफर का भी याद दिलाया है।
 

करियर डेस्क : काफी दिनों से कांग्रेस (Congress) से नाराज चल रहे गुलाब नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने आखिरकार पार्टी से नाता तोड़ लिया है। आजाद ने कांग्रेस प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने प्रचार समिति से भी खुद को अलग कर लिया था। उन्हें कांग्रेस की तरफ से मनाने की लाख कोशिश हुई लेकिन वे नहीं माने। इसके साथ ही करियर के लंबे समय बाद पार्टी का हाथ उन्होंने छोड़ दिया। वह कांग्रेस के दिग्गज और वरिष्ठ नेता थे और काफी पढ़े-लिखे भी। आइए जानते हैं नबी के जीन से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें...

  1. गुलाब नबी आजाद का जन्म 7 मार्च, 1949 को जम्मू के डोडा में हुआ था। पिता रहमतुल्लाह बट और माता का नाम बासा बेगम थीं। 
  2. गांव से ही उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई। जम्मू के गांधी मेमोरियल कॉलेज से साइंस में बैचलर की डिग्री हासिल की। साल 1972 में श्रीनगर की कश्मीर यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में मास्टर यानी पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
  3. गुलाम नबी आजाद की पत्नी शमीम जम्मू-कश्मीर की जानी-मानी सिंगर हैं। उनके दो बच्चे हैं, सद्दाम और सोफिया।
  4. गुलाब नबी आजाद को शायरी लिखने का शौक है। उन्हें फूलों से भी बहुत लगाव है। उनके घर के बगीचे में 25-26 किस्म के फूल हैं। कश्मीर में स्थित एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन उन्होंने बनवाया था। यह गार्डन कश्मीर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। आजाद अपने गार्डन में खुद ही पौधे लगाते हैं।
  5. साल 1973 में आजाद का पॉलिटिकल करियर बतौर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सचिव शुरू हुआ। उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब जम्मू यात्रा पर थीं। वे आजाद से काफी प्रभावित हुईं और 1975 में वह जम्मू-कश्मीर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बना दिया। 1980 में यूथ कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष बनाए गए।
  6. 1980 में महाराष्ट्र के वाशिम से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते और सांसद बने। 1982 में केंद्रीय मंत्री बने और फिर कई पदों पर रहें।
  7. 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनसे आग्रह किया कि वे जम्मू-कश्मीर के सीएम बन जाए लेकिन आजाद ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और तर्क दिया कि उन्हें राज्य की राजनीति में दिलचस्पी नहीं।
  8. 1995-96 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भी आजाद से जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने का आग्रह किया लेकिन एक बार फिर गुलाब नबी नहीं माने और इससे इनकार कर दिया।
  9. साल 2005 में वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के लिए मान गए और पद ग्रहण किया। साल 2008 तक तीन साल तक वे मुख्यमंत्री रहे।
  10. साल 2014 में केंद्र से कांग्रेस की सत्ता जाने पर आजाद को राज्यसभा में नेता विपक्ष बनाया गया। फरवरी 2021 में वे राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए और साल 2022 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

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