सार

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की आहट से पहले कांग्रेस को जोर का झटका लगा है। सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद(Ghulam Nabi Azad resigns) ने पार्टी से इस्तीफा देकर राहुल गांधी की लीडरशिप पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानिए 5 पेज के इस्तीफे की 10 बड़ी बातें...

नई दिल्ली. कांग्रेस में अपने अपमान से आहत दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद(Ghulam Nabi Azad resigns) के इस्तीफे ने देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की जमीन हिला दी है। यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट हो रही है। वहीं, जब कांग्रेस दुबारा खड़े होने की कोशिश में 7 सितबंर से अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम भारत जोड़ो यात्रा(Congress Bharat Jodo Yatra) शुरू करने जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भेजे 5 पन्नों के इस्तीफे में आजाद ने अपनी राजनीतिक यात्रा के साथ गांधी फैमिली से रिश्ते और राहुल गांधी की अदूरदर्शिता पर खुलकर कहा है। इस बीच आजाद ने बीजेपी में शामिल होने की खबरों का खंडन करते हुए ऐलान किया कि वे  जम्मू-कश्मीर लौटेंगे और अपनी पार्टी बनाएंगे। नबी ने कहा कि उनके विरोधी पिछले 3 साल से कहते आ रहे हैं कि मैं भाजपा में जा रहा हूं। उन्होंने तो मुझे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भी बनवा दिया था।

नबी ने 5 पन्नों के इस्तीफे में लिखी ये 10 बड़ी बातें
1.
73 साल के आजाद ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे 5 पन्नों के इस्तीफे में कई मुद्दों पर ध्यान दिलाया। सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने लंबे रिश्ते और इंदिरा गांधी के साथ अपने करीबी संबंधों को याद किया। 

2. आजाद ने हेल्थ संबंधी परेशानियों का हवाला देकर लिखा कि कांग्रेस पार्टी की स्थिति 'नो रिटर्न' के पॉइंट पर पहुंच गई है। आजाद ने लिखा-संपूर्ण संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया(entire organisational election process) एक तमाशा और दिखावा है। देश में कहीं भी संगठन के किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं हुए हैं। एआईसीसी के चुने हुए लेफ्टिनेंटों को मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है।

3. गुलाम नबी आजाद ने बिना कुछ बोले राहुल गांधी पर तीखा हमला किया और कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी ने भाजपा और राज्य स्तर पर क्षेत्रीय दलों को स्वीकार किया है। यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि पिछले 8 वर्षों में नेतृत्व ने पार्टी के शीर्ष पर एक गैर-गंभीर व्यक्ति को थोपने की कोशिश की है।

4. आजाद ने उल्लेख किया कि 2019 के चुनावों के बाद से ही कांग्रेस की स्थिति और खराब हुई है,  जब राहुल गांधी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान किया था, जिन्होंने पार्टी को अपनी जान दे दी थी। आजाद ने लिखा कि यूपीए को बर्बाद करने वाला रिमोट कंट्रोल मॉडल कांग्रेस में लागू हो गया। 

5.आजाद ने लिखा-दुर्भाग्य से कांग्रेस पार्टी की स्थिति ऐसी हो  गई है कि अब पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए परदे के पीछे का सहारा लिया जा रहा है। आजाद ने कहा कि यह प्रयोग विफल होने के लिए अभिशप्त है, क्योंकि पार्टी इतनी व्यापक रूप से नष्ट हो गई है कि स्थिति अपूरणीय हो गई है।

6. मैं 1970 के दशक के मध्य में जम्मू और कश्मीर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुआ, जब 8 अगस्त 1953 के बाद से राज्य में इसके चेकर इतिहास(खराब हालात) को देखते हुए पार्टी के साथ जुड़ना एक वर्जित था। इन सबके बावजूद छात्र जीवन से महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और हमारे स्वतंत्रता संग्राम के अन्य प्रमुख हस्तियों के आदर्शों से प्रेरित होकर स्वर्गीय संजय गांधी के व्यक्तिगत आग्रह पर मैं 1975-76 में जम्मू और कश्मीर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाने के लिए सहमत हो गया था। मैं कश्मीर विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद 1973-1975 तक ब्लॉक महासचिव के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सेवा कर रहा था।

7. मैं आपके दिवंगत पति और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस संसदीय बोर्ड का सदस्य था। राजीव गांधी की मई 1991 में उनकी दुखद हत्या तक और बाद में पीवी नरसिम्हा राव के साथ अक्टूबर 1992 में कांग्रेस संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन नहीं करने का फैसला किया। मैं निर्वाचित और मनोनीत दोनों हैसियत से लगभग चार दशकों से लगातार कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य भी रहा हूं। मैं पिछले 35 वर्षों में किसी न किसी समय देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का प्रभारी एआईसीसी महासचिव रहा हूं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जिन राज्यों का मैं समय-समय पर प्रभारी रहा उनमें से 90% राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल की।

8. निस्संदेह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आपने यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों सरकारों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने पहले से मौजूद कम्पलीट एडवायजरी सिस्टम को ध्वस्त कर दिया गया। सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी।

9. 2014 से आपके नेतृत्व में और बाद में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस दो लोकसभा चुनावों में अपमानजनक तरीके से हार गई। 2014-2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से उसे 39 में हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और 6 मामलों में गठबंधन की स्थिति में आने में सफल रही। दुर्भाग्य से आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में शासन कर रही है और दो अन्य राज्यों में बहुत मामूली गठबंधन सहयोगी है।

10. अगस्त 2020 में जब जब मैंने और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों सहित 22 अन्य वरिष्ठ सहयोगियों ने आपको पार्टी के बारे में लिखा, तो चाटुकारों हम पर हमला किया, बदनाम किया और अपमानित किया। उस पत्र को लिखने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया गया एकमात्र अपराध यह है कि उन्होंने पार्टी की कमजोरियों के कारणों और उसके उपचार दोनों को इंगित किया। दुर्भाग्य से उन विचारों को रचनात्मक और सहयोगात्मक तरीके से बोर्ड पर लेने के बजाय हमें गाली दी गई, अपमानित किया गया। (लेटर के कुछ अंश संपादित करके पब्लिश किए गए हैं)

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