Gita Gopinath ने बढ़ाया भारत का मान, IMF में बनीं फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, पढ़ाई में थी एवरेज छात्र

दिसंबर 1971 में मलयाली माता-पिता के घर जन्मी गोपीनाथ की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई और उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ-साथ वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर किया।

करियर डेस्क. भारतीय मूल की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath)  ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में नंबर-2 की कुर्सी दी गई है। उनका कार्यकाल जनवरी में समाप्त होने वाला था और फिर से हॉर्वर्ड ​यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में लौटने वाली थीं लेकिन इससे पहले ही आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के लिए उनके नाम की घोषणा कर दी गई। वे जियोफ्रे ओकामोटो की जगह लेंगी।  

भारतीय मूल का कोई व्यक्ति पहली बार आईएमएफ में इस पद पर पहुंचा है। गीता गोपीनाथ पहले आईएमफ को छोड़ना चाहती थीं। उनका इरादा जनवरी 2022 में वापस हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाकर फिर से पढ़ाने का था, लेकिन अब वह आईएमएफ में ही अपनी सेवाएं देंगी।

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कैसा रहा उनका सफर 
दिसंबर 1971 में मलयाली माता-पिता के घर जन्मी गोपीनाथ की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई और उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ-साथ वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर किया। गोपीनाथ ने 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी और उनका मार्गदर्शन केनेथ रोगॉफ, बेन बर्नान्के और पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने किया था। 2005 में हार्वर्ड जाने से पहले वह 2001 में शिकागो विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल हुईं। वह 2010 में वहां एक कार्यरत प्रोफेसर बनीं। वह हार्वर्ड के इतिहास में अपने सम्मानित अर्थशास्त्र विभाग में एक कार्यरत प्रोफेसर बनने वाली तीसरी महिला हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद यह पद संभालने वाले पहले भारतीय।

दुनिया के दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार गीता को इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स संबंधित शोधों के लिए जाना जाता है। साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था। गीता गोपीनाथ पहली महिला हैं, जो आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट बनीं। उन्होंने कोरोना महामारी के दौर में वैश्विक आर्थिक मंदी दूर करने के लिए असाधारण काम किया। पूरी दुनिया लॉकडाउन से गुजर रही थी, तब उन्होंने दुनिया को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई। 

पढ़ाई में थीं एवरेज स्टूडेंट्स
गीता पढ़ाई में शुरुआत में एवरेज स्टूडेंट्स थीं। उनके पिता गोपीनाथ ने एक मैगजीन को दिए  एक इंटरव्यू में बताया था कि सातवीं क्लास तक तो गीता के महज 45 फीसदी नंबर आते थे, लेकिन इसके बाद वह पढ़ाई में निखरती गईं।

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