ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में कॉलेज छोड़ने का बनाया था मन, अब UPSC 2020 TOPPER बनकर चंबल का बढ़ाया मान

 Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने विकास से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2021 1:37 PM IST

करियर डेस्क. विकास सेंथिया (vikas senthia) ने ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में कॉलेज छोड़ने का मन बनाया था। इसकी वजह यह थी कि उन्होंने मध्य प्रदेश बोर्ड से हिंदी मीडियम से पढ़ाई की थी। कॉलेज में पढ़ाई इंग्लिश में होती थी और नोट्स भी इंग्लिश में ही बनवाए जाते थे। जिस कारण वो असहज महसूस करते थे लेकिन उन्हें किसी ने समझाया, तो उन्होंने कॉलेज नहीं छोड़ा और ग्रेजुएशन करते रहें। इसी दौरान उनके दिमाग में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा देने का विचार आया। घर वालों से चर्चा के बाद उन्होंने तैयारी शुरू की और UPSC 2020 में पहले ही अटेम्पट में उन्हें सफलता मिली। उनकी 642वीं रैंक आयी है। विकास को आईपीएस या आईआरएस काडर मिल सकता है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने विकास से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

पिता किसान हैं, बाहर भेजकर करवाई पढ़ाई
विकास सेंथिया मध्य प्रदेश के भिंड जिला स्थित गौरम गांव के रहने वाले हैं। उनका गांव मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के सिंध नदी के किनारे बसा है। यह इलाका चम्बल के रूप में भी जाना जाता है। उनका कहना है कि वह 12वीं कक्षा तक औसत दर्जे के स्टूडेंट थे। 12वीं कक्षा में जब उनके मार्क्स अच्छे आए तो उनके किसान पिता ने बाहर जाकर पढ़ाई करने के लिए कहा। तब उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय का रूख किया। वह हिंदी मीडिएम से आए थे तो वहां उन्हें अंग्रेजी ठीक से समझ नहीं आ रही थी। दिक्कत हो रही थी, तो उन्होंने दिल्ली का कॉलेज छोड़ने का मन बना लिया। विकास कहते हैं कि फिर किसी के समझाने पर उन्होंने कॉलेज नहीं छोड़ा।

जल्द से जल्द जॉब का था प्रेशर
विकास कहते हैं कि हिंदी मीडियम वालों के लिए एक भाषा के स्तर पर स्ट्रगल होता है, जो मैंने भी फेस किया है। मैटेरियल या अन्य चीजों को लेकर इंग्लिश में उतना सहज नहीं होते हैं। उनके समक्ष आर्थिक समस्या भी रही। सामान्य तौर पर हर व्यक्ति पर जल्द से जल्द जॉब पाने का प्रेशर होता है। यह भी दबाव था कि जल्दी से जल्दी सलेक्शन लेना है। वरना इतने लम्बे समय तक घर वालों की तरफ से स्टडी के लिए सक्षम नहीं होता। यही दो तीन चुनौतियां रहीं।

अच्छे कारणों से जाना जाए चम्बल
विकास का कहना है कि ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी के बारे में पता चला तो घर वालों से बात की, उन्होंने भी सपोर्ट किया। फिर यूपीएससी ट्राई किया। वह कहते हैं कि जब घरवालों ने भरोसा करके उन्हें पढ़ाई के लिए भेजा, तो उन्होंने सोचा कि उन्हें कुछ करके दिखाना है। यह भी करके दिखाना था कि चम्बल का नाम जिन कारणों से फेमस है, अब वह एक अच्छे कारणों से जाना जाए।

मोटिवेशन का तरीका था परिवार
विकास कहते हैं कि यूपीएससी लंबी जर्नी है, उतार चढ़ाव आते हैं। कोई योगा करके कोई किसी को आइडल बनाकर मोटिवेट होता है। मेरा मोटिवेशन का तरीका था परिवार। उनका भी दबाव था कि जल्दी से जल्दी जॉब मिले। मेरी भी स्थिति थी कि जल्दी से जल्दी मैं कुछ ऐसा कर सकूं, जो उनको उनकी स्थितियों से बाहर निकाल सकूं। तो जब भी निराश होता था तो सोचता था कि अभी रूकना नहीं है और पढ़ना है। आगे कुछ और करना है। ताकि उन लोगों को चेहरे पर मुस्कान ला सकूं। मेरी हॉबी डायरी राइटिंग रही है। इसका मुख्य मकसद सेल्फ इवैल्यूशन होता है। सेल्फ इवैल्यूशन से भी काफी मदद मिलती है।

मां-पिता और दोस्तों को देते हैं सफलता का श्रेय
विकास सेंथिया ने कक्षा पांच तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की। 12वीं तक की पढ़ाई भिंड के अग्रवाल विद्या मंदिर से हुई। फिर उन्होंने शहीद भगत सिंह कॉलेज, दिल्ली से ग्रेजुएशन किया। हिंदी लिटरेचर से हंसराज कॉलेज, दिल्ली से एमए किया। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अवधेश सेंथिया और मां गिरिजा सेंथिया को देते हैं। उनकी सफलता में टीचर्स और पिछले छह साल से उनके रूम मेट रहे आदित्य और मोहित का भी अहम योगदान है।

अंग्रेजी में खुद को ऐसे किया तैयार
विकास कहते हैं कि हिंदी की बुक से पढ़कर लिखो तो मैटेरियल और कंटेट अच्छा नहीं मिलता था। अंग्रेजी की बुक से पढ़कर उत्तर लिखना शुरू किया तो जब घर पर नोट बनाता था तो अंग्रेजी की दो से तीन बुक रिफरेंस के तौर पर रखता था और उनको पढ़कर उनको अनुवाद करके हिंदी में नोट्स बनाता था। पूरे तीन साल मैंने थोड़ा बहुत अनुवाद किया। डिक्शनरी की भी मदद ली। इससे कहीं न कहीं रीडिंग काम्प्रीहेंसन स्किल डेवलप हुई। कॉलेज के बाद जब कोचिंग शुरू की तो डिक्शनरी लेकर अखबार पढ़ा। उसको लगातार किया जाए तो चार से पांच महीने आते आते न्यूजपेपर की समझ आ जाती है। यह सब करते हुए इतना हो गया कि अब कहीं से पढूं तो अंग्रेजी समझ में आ जाती थी। पढ़ने—लिखने में पहले की तुलना में ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस करता हूं।

इस वजह से समय और पैसा दोनों बर्बाद करते हैं बच्चे
विकास कहते हैं कि कोई भी परीक्षा दो पहले उसके बारे में पूरी तरीके से अच्छे से जान लो कि उसका सिलेब्स क्या है। उसका पेपर पैटर्न क्या है। अक्सर देखा है कि जो भी नए स्टूडेंट आ रहे हैं, बिना परीक्षा के बारे में जाने, बिना उसका नेचर समझे कि परीक्षा क्या है, वह चले आते हैं। वह एक कोचिंग ज्वाइन कर लेते हैं और एक अच्छा खासा पैसा और समय इनवेस्ट कर देते हैं। उन्हें बाद में समझ आता है कि यह हमसे नहीं होगा और वह यूपीएससी की तैयारी छोड़ देते हैं। उससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है और कहीं न कहीं परिवार और समाज की नजर में फेलियर का धब्बा भी लगता है।

पहले परीक्षा के बारे में जाने तब शुरू करें तैयारी
उनका कहना है कि सबसे पहले परीक्षा के बारे में प्रॉपर जानकारी करें। पूरी रूपरेखा बनाएं, क्योंकि स्ट्रेटजी पहले बनानी पड़ती है। इस परीक्षा में तभी आओ जब इसके बारे में अच्छे से जानकारी हो। बहुत ज्यादा सलाह से बचें। अपनी खुद की बनायी गयी स्ट्रेटजली को अपने उपर फॉलो करके देखें। किसी को ब्लाइंडली फॉलो मत करें। सोर्स को सीमित रखें। उसी में चीजों को जोड़ते जाएं और रिवीजन करते हुए प्रॉपर टेस्ट देते जाएं। टेस्ट के द्वारा सेल्फ इवैल्यूशन की उम्मीद होती है।

सबके लिए अलग-अलग चीजें होती हैं टफ
विकास कहते हैं कि सबके लिए अलग-अलग चीजें होती हैं। किसी को प्रीलिम्स टफ लगता है किसी को मेंस और किसी को इंटरव्यू। सभी का अपना कम्फर्ट जोन होता है, जिसमें उन्हें सहज महसूस हेाता है। मेरे नजरिए से बताऊं तो मुझे मेंस और इंटरव्यू के बजाए प्रीलिम्स ज्यादा टफ लगता है। उन्होंने इंटरव्यू के पहले माक इंटरव्यू दिया। उनका कहना है कि उन्होंने सोचा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा। यदि कोई प्रश्न नहीं आएगा तो कह दूंगा। यह चीज जब आप सोच लेते हो तो डर खत्म हो जाता है। आप अपने को अच्छे से एक्सप्रेस कर पाते हो। इंटरव्यू में सेल्फ कांफिडेंस आ जाता है। यह सबसे ज्यादा जरूरी है।

तैयारी हो जाएगी आसान
विकास कहते हैं कि जब आप ज्यादा से ज्यादा खराब सिचुऐशन के लिए तैयार होते हैं, तो सोचते हैं कि अधिकतम क्या होगा, उत्तर नहीं आएगा, तो सॉरी बोल देंगे। अगर ये दो चीजें मन में बैठा ली जाए कि जो आएगा वह कॉन्फिडेंस के साथ बताने के लिए तैयार रहेंगे और जो नहीं आएगा तो सॉरी बोल देंगे। इन वजहों से लोगों को जो तनाव और हिचकिचाहट होती है, वह खत्म हो जाएगी। इन वजहों से एस्पिरेंटस आती हुई चीजें भी भूल जाते हैं। यही सब चीज मेरे अंदर थी, लोग समझाते थे, मैंने उनको फॉलो किया। इंटरव्यू के पहले अच्छे से मॉक की प्रैक्टिस करो। ग्रुप बनाइए, उसमें डिस्कशन करिए। मेरा 10 से 15 लोगों का ग्रुप था। हम लोग डिस्कशन करते थे और जो भी डैफ (डिटेल एप्लीकेशन फार्म) में आपने भरा है, जो तुम्हारे कोर एरियाज हैं। उस पर फोकस करो, तैयारी करो। उनका इंटरव्यू 25 मिनट चला था।

नोट्स कलेक्टर नहीं बनना
सेंथिया कहते हैं कि यूपीएससी की तैयारी में एस्पिरेंटस को बहुत सारी किताबें नहीं पढ़नी है। सब जगह से नोट्स इकट्ठा नहीं करना है। मतलब नोट्स कलेक्टर नहीं बनना है। किसी भी किताब को रैमेंडली शुरू से अंत तक नहीं पढ़ना होता है। हर किताब की कुछ जरूरी चीजें होती हैं। उसके लिए जरूरी है कि सिलेब्स को अच्छे से एनालिसिस करो। फिर देखो कि क्या पढ़ना और क्या छोड़ना है। यूपीएससी में क्या पढ़ना है, इससे ज्यादा यह देखना जरूरी होता है कि क्या छोड़ना है।

रिवीजन कर सको तभी पढ़ो किताब
यूपीएससी में आप किसी किताब को तभी पढ़ो, जब आप उसका रिवीजन कर सको। वरना उसे छोड़ दो या तो उसको पढ़कर उसका तुरंत शार्ट नोट बना लो। उनका रिवीजन करो या किताब का रिवीजन करो। वरना टाइम भी चला जाता है और चार दिन बाद आपने जो पढ़ा वह भूल जाते हैं। पढ़ाई ऐसे नहीं करनी है कि आज आठ घंटे पढ़ें, कल पढ़ें ही नहीं और परसों चार घंटे पढ़ लिया। तैयारी में कंसिस्टेंसी मेंटेन करके चलना है। डेली आठ घंटे पढ़ें। बहुत जल्दी निराश नहीं होना है। प्रैक्टिस करना है।

युवाओं को स्किल डेवलपमेंट पर करना है काम
विकास सेंथिया कहते हैं कि आजकल हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है। युूवाओं को मुख्य रूप से जिस चीज पर काम करना है, वह स्किल डेवलपमेंट है। अगर आपके पास स्किल (हुनर) है। अगर किसी भी चीज में आप स्किल डेवलप करते हैं तो ही आपकी वैल्यू है, क्योंकि लिबलराइजेशन (उदारीकरण) के समय में मार्केट बेस्ड इकानमी है। जो युवा स्कूलों में पढ रहे हैं, उन्हें अपने स्किल पर काम करना है। खुद के प्रति ईमानदार रहो। खुद को धोखा मत दो। आप जिस भी फील्ड में जाएंगे, अच्छा करेंगे।

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