Ramanujan Prize: भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता को मिला विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का रामानुजन पुरस्कार

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और गणितीय संघ (आईएमयू) के साथ अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) द्वारा यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 1:18 PM IST

करियर डेस्क. कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute in Kolkata) में गणितज्ञ की प्रोफेसर नीना गुप्ता (Indian mathematician Neena Gupta) को एफाइन संयुक्त बीजगणितीय ज्यामिति और क्रमविनिमेय बीजगणित में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021 डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार (Ramanujan Prize) से सम्मानित किया गया है। प्रोफेसर गुप्ता रामानुजन पुरस्कार प्राप्त करने वाली तीसरी महिला हैं। पहली बार 2005 में यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और गणितीय संघ (आईएमयू) के साथ अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) द्वारा यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है। रामानुजन पुरस्कार हर साल एक प्रख्यात गणितज्ञ को दिया जाता है, जिनकी उम्र पुरस्कार दिए जाने वाले वर्ष के 31 दिसंबर को 45 वर्ष से कम हो और जिन्होंने विकासशील देशों में उत्कृष्ट शोध कार्य किया है। पुरस्कार इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) ट्राइस्टे द्वारा संचालित और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है।

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दुनिया भर के प्रख्यात गणितज्ञों को शामिल कर बनाई गई डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार समिति ने उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रोफेसर गुप्ता का कार्य उनके प्रभावशाली बीजगणितीय कौशल और आविष्कारशीलता को दर्शाता है। प्रोफेसर गुप्ता ने बीजगणितीय ज्यामिति के एक मौलिक सवाल, जारिस्की उत्सादन के सवाल को हल करने के लिए प्रोफेसर गुप्ता ने जो तरीका या समाधान बताया है उसके लिए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का 2014 युवा वैज्ञानिक पुरस्कार मिला है।

अकादमी ने उनके समाधान को ’हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए बीजगणितीय ज्यामिति में सर्वश्रेष्ठ कार्य’ बताया है। आधुनिक बीजगणितीय ज्यामिति के सबसे प्रतिष्ठित संस्थापकों में शमार ऑस्कर जारिस्की ने समस्या 1949 में यह सवाल प्रस्तुत किया था। अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के साथ एक साक्षात्कार में प्रोफेसर नीना गुप्ता ने बताया, ’’उत्सादन का सवाल है कि अगर आपके पास दो ज्यामितीय संरचनाओं पर सिलेंडर हैं और उसका रूप समान रूप है, तो क्या कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि मूल आधार वाली संरचनाओं के रूप समान हैं।

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