मैंने UPSC में 1st रैंक की उम्मीद कभी नहीं की.. मिलिए देश सेवा के लिए 1 करोड़ की सैलरी छोड़ने वाले कनिष्क से

कनिष्क कटारिया ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की है। इसके बाद वे सैमसंग में जॉब करने साउथ कोरिया चले गए थे। मगर वहां रहकर उन्हें देशभक्ति का भाव जगा और भारत आकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे। 2018 में उन्होंने टॉप किया। 

Ashutosh Pathak | Published : Dec 14, 2022 8:23 AM IST / Updated: Dec 14 2022, 02:39 PM IST

करियर डेस्क। मैंने कभी नहीं सोचा था और न ही इस बात की उम्मीद की थी कि मुझे पहली रैंक मिलेगी। यह कहना है कि भारत की सिलिकॉन वैली, बेंगलुरु में काम करने वाले डाटा साइंटिस्ट कनिष्क कटारिया का है। कनिष्क ने 2018 के यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में ऑल इंडिया पहली रैंक हासिल कर चुके हैं। कनिष्क आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई कर चुके हैं। उन्होंने फर्स्ट अटेंप्ट यानी पहले ही प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा में एक यूपीएससी सिविल सर्विस को पास कर लिया। 

यह जानना न सिर्फ दिलचस्प है बल्कि, खासकर युवाओं के लिए प्रेरणादायक भी कि ऊंची सैलरी वाली जॉब छोड़कर सिर्फ देश सेवा के लिए उन्होंने भारत आने का फैसला किया और यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम के जरिए देश कार्य में भागीदार बनने का निर्णय किया। कनिष्क के अनुसार, देश के विकास में सहभागी बनने और इसकी उभरती कहानी का हिस्सा बनने के लिए ही हाई पैकेज सैलरी जॉब छोड़ दी। उन्हें विदेश में नौकरी के दौरान हर महीने एक करोड़ रुपए की सैलरी मिलती थी। 

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पिता और चाचा भी आईएएस अधिकारी 
कनिष्क यूपीएससी सिविल सर्विस-2018 टॉपर रहे हैं। वे मरूभूमि राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहने वाले हैं। हालांकि, उनके परिवार में बहुत से लोग सिविल सर्विस के जरिए देश सेवा में भागीदार हैं। कनिष्क के पिता सनवरमल वर्मा भी आईएएस अफसर हैं और वे राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय और आधिकारिता विभाग में निदेशक पद पर तैनात हैं। वहीं, कनिष्क के चाचा केसी वर्मा जयपुर में संभागीय आयुक्त हैं। कनिष्क कटारिया के अनुसार, बचपन से ही मैं अपने पिता और चाचा को देश के लिए सीनियर अफसर के तौर पर काम करते देखता रहा हूं। मुझे भी यही बनने की इच्छा थी। 

पढ़ाई कहां हुई और किस नौकरी में मिली 1 करोड़ की सैलरी 
कनिष्क ने कोटा के सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है। इसके बाद 2010 में उन्होंने IIT-JEE में 44वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्हें IIT Bombay में एडमिशन मिल गया। यहां से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बी-टेक किया। 2014 में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी कर ली। कनिष्क को सैमसंग में जॉब मिल गई। 2016 में वे सैंमसंग के साथ साउथ कोरिया के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करने लगे थे। वहां इनकी हर महीने सैलरी करीब एक करोड़ रुपए थी। कनिष्क के अनुसार, पैसे के लिए काम करना मुझे संतुष्टि नहीं देता। मेरे दिमाग में कहीं न कहीं भारत बसा रहता था। भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने की उम्मीद के साथ मैंने वो नौकरी छोड़ दी और देश सेवा के लिए भारत लौट आया। 

कैसे तैयारी की और एगजाम दिया 

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