Anna Mani Birthday: बचपन में डांसर बनना चाहती थीं अन्ना मणि, फैमिली की जिद ने फिजिक्स से करा दी दोस्ती

अन्ना मणि ने 1939 में चेन्नई तब मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से फिजिक्स और केमेस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद 1945 में भौतिकी में पढ़ाई करने वो लंदन चली गईं और इंपीरियल कॉलेज से मौसम संबंधी उपकरणों की विशेषज्ञता हासिल की।

करियर डेस्क : भारतीय मौसम का पूर्वानुमान संभव बनाने वाली मौसम विज्ञानी (Indian Meteorologist) अन्ना मणि (Anna Mani) की आज 104वें जन्मदिन पर सर्च इंजन गूगल (Google) ने खास तौर पर डूडल (Doodle) बनाकर याद कर रहा है। अन्ना मणि का भारतीय मौसम विभाग में काफी योगदान रहा है। मौसम का अवलोकन करने वाले उपकरणों के डिजाइन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। आज मौसम का पूर्वानुमान लगाना अगर संभव हो पाया है तो सिर्फ अन्ना मणि की वजह से ही। वो जब छोटी थीं तब डांसर बनना चाहती थी लेकिन उनकी फैमिली को यह पसंद नहीं था। इस खातिर उन्होंने मन से इसका ख्याल निकाल  दिया और भौतिकी में अपना करियर बनाने का फैसला किया। इस सब्जेक्ट से उन्हें कुछ खास ही लगाव था।

'भारत की मौसम महिला' अन्ना मणि
अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को केरल के पीरूमेडू में हुआ था। उन्हें 'भारत की मौसम महिला' के नाम से भी जाना जाता है। साल 1939 में उन्होंने चेन्नई तब मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से भौतिक और रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और 1940 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में रिचर्स के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने प्रो. सीवी रमन के अधीन काम करते हुए रूबी और हीरे के ऑप्टिकल गुणों पर रिसर्च किया और भौतिकी में आगे की पढ़ाई के लिए 1945 में लंदन के इंपीरियल कॉलेज चली गईं।

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अन्ना को नहीं दी गई पीएचडी की डिग्री
लंदन में ही उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों की विशेषज्ञता हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पांच शोध पत्र लिखे और अपना पीएचडी रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री नहीं मिली, क्योंकि उनके पास भौतिकी में मास्टर की डिग्री नहीं थी। 1948 में वे लंदन से भारत लौटी और मौसम विभाग में काम शुरू किया। उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरणों से संबंधित शोध पत्र भी लिखे।

गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थीं अन्ना मणि
मौसम विभाग में काम करने के दौरान 1969 में अन्ना मणि को विभाग का उप महानिदेशक बना दिया गया। उन्होंने बंगलुरु में एक कार्यशाला (Workshop) भी स्थापित किया। इस कार्यशाला से ही अन्ना मणइ हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने का काम करती थीं। उन्होंने ओजोन परत पर भी रिसर्च  किया था। 1976 में भारतीय मौसम विभाग की उप-निदेशक पद से रिटायर हुईं। गांधीवादी विचारधारा से वह काफी प्रभावित थीं। पूरी जिंदगी गांधी जी के मूल्यों पर चलीं। वह ज्यादातर  खादी के कपड़े पहनती थीं। साल 1987 में उन्हें  INSA केआर रामनाथन मेडल से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त 2001 को उनका निधन हो गया। आखिरी पलों में अन्ना मणि तिरुवनंतपुरम में रहती थीं।

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