राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों को सरकारी कॉलेज की फीस पर 50% सीटें देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
करियर डेस्क : भारत में लाखों लोग सिर्फ इस वजह से डॉक्टर (Doctor) नहीं बन पाते हैं, क्योंकि MBBS मेडिकल के किसी भी कोर्स की फीस बहुत ज्यादा होती है और इसे वह अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब प्राइवेट कॉलेज से मेडिकल करना भी आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा। जी हां, हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुसार निजी मेडिकल कॉलेजों को सरकारी कॉलेज की फीस पर 50 परसेंट सीटें देना अनिवार्य होगा। आइए आपको बताते हैं इस नए दिशा-निर्देशों के बारे में...
क्या कहती है NMC की गाइडलाइन
एनएमसी के दिशा-निर्देश में कहा गया है कि निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों की फीस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर होनी चाहिए, जो अगले शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगी। उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों को प्रत्येक राज्य की फीस निर्धारण समिति द्वारा अपने संबंधित मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
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किन छात्रों को मिलेगा इसका फायदा
NMC की गाइडलाइन के अनुसार, इस शुल्क संरचना का लाभ पहले उन उम्मीदवारों को मिलेगा, जिन्होंने सरकारी कोटे की सीटों का लाभ उठाया है, लेकिन संस्थान की कुल स्वीकृत संख्या के 50 प्रतिशत तक सीमित है। हालांकि, यदि सरकारी कोटे की सीटें कुल स्वीकृत सीटों के 50 प्रतिशत से कम हैं, तो शेष उम्मीदवारों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर शुल्क का भुगतान करने का लाभ मिलेगा।
छात्रों को नहीं देनी होगी अतिरिक्त फीस
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘नॉट फॉर प्रॉफिट’ एजुकेशन प्रिंसिपस का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है। यानी की कोई भी संस्थान किसी भी रूप में कैपिटेशन फीस नहीं वसूल सकते है, इसलिए मेडिकल कॉलेजों को उसी निर्धारित फीस में संस्थान के संचालन और मेंटेनेंस का खर्च निकालना होगा।
ऐसे बनी ये गाइडलाइन
बता दें कि इन नई गाइलाइंस को बनाने के लिए पिछले साल 25 मई को एनएमसी की वेबसाइट पर सार्वजनिक टिप्पणियों को आमंत्रित करते हुए ड्राफ्ट गाइडलाइंस अपलोड किए गए थे। जिसपर लगभग 1,800 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। इसके बाद एनएमसी ने पिछले साल 29 दिसंबर को हुई अपनी बैठक में इस पैनल की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।
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