दिव्यांग होने के बावजूद प्रियंका ठाकुर बनीं सिविल जज, बेटियों का नाम किया ऊंचा

अगर मन में किसी लक्ष्य को हासिल करने का दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी मुश्किल राह नहीं रोक सकती। इस बात को साबित किया है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली प्रियंका ठाकुर ने। दिव्यांगता के बावजूद उन्होंने जज बनने का अपना सपना पूरा किया। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2019 8:30 AM IST

करियर डेस्क। कहते हैं कि अगर किसी लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प ले लिया जाए और उसके लिए पूरी मेहनत की जाए तो कोई भी मुश्किल राह नहीं रोक सकती। इस बात को साबित किया है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली प्रियंका ठाकुर ने। दिव्यांगता के बावजूद उन्होंने जज बनने का अपना सपना पूरा किया। प्रियंका ठाकुर ने परीक्षा में 10वां स्थान हासिल किया और हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के लिए चुनी गईं। उनकी नियुक्ति बतौर सब जज होगी। बता दें कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से कुल 10 पदों के लिए 5 से 7 दिसंबर तक साक्षात्कार लिए गए थे। 

लॉ में डॉक्टरेट कर रही हैं प्रियंका
प्रियंका ठाकुर ने एलएलएम की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी। इसके बाद उन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षा भी पास की। फिलहाल, वे लॉ में पीएच.डी. कर रही हैं। प्रियंका ठाकुर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के वडाला गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र से एलएलबी और एलएलएम की परीक्षा पास की। प्रियंका ठाकुर के पिता सुरजीत सिंह बीएएसएफ में इंस्पेक्टर थे। अब वे रिटायर हो चुके हैं। उनकी मां का नाम सृष्टा देवी है। 

क्या कहना है प्रियंका का
शनिवार को परीक्षा का परिणाम आने के बाद प्रियंका ठाकुर ने कहा कि उनकी इच्छा शुरू से ही न्यायिक सेवा में जाने की थी। इसीलिए उन्होंने एलएलबी के बाद एलएलएम किया और आगे शोध कार्य करना भी जारी रखा। यूजीसी नेट की परीक्षा में भी वे सफल रहीं, जिससे उनका हौसला मजबूत हुआ। प्रियंका ठाकुर ने कहा कि अगर हम मन में ठान लें कि लक्ष्य पूरा करना है तो कामयाबी मिल कर रहती है। उन्होंने बताया कि न्यायिक सेवा में उनका चयन होने से परिवार के साथ ही पूरे गांव में खुशी का माहौल है। उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर लड़कियों की उपेक्षा की जाती है, पर अब माहौल बदल रहा है। लड़कियां हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर अपनी अलग पहचान बना रही हैं। 

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