पांच साल तक के बच्चों को पोलियो (polio ) की दवा पिलाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दवा बच्चों को ही क्यों पिलाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि अभी भी पोलियो पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
करियर डेस्क. पांच साल तक के बच्चों को पोलियो (polio ) की दवा पिलाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दवा बच्चों को ही क्यों पिलाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि अभी भी पोलियो पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। भारत 2012 से पोलियो मुक्त घोषित है लेकिन पाकिस्तान और एक दो देश ऐसे हैं जहां यह वायरस सक्रिय हैं। यही कारण है कि 27 फरवरी 2022 को बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जा रही है। 27 फरवरी 2022 यानी कि रविवार को पोलियो राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान (Pulse polio programme) का शुभारंभ हुआ। 27 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक देश भर में नवजात से लेकर 5 साल तक के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाएगी।
भारत में कब हुई शुरुआत
भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास के परिणामस्वरूप 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण (PPI) कार्यक्रम आरंभ किया। इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो समाप्त होने तक हर वर्ष दिसम्बर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके (OPV) की दो खुराकें दी जाती हैं।
24 अक्टूबर को मनाया जाता है पोलियो दिवस
हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। यह दिन पोलियो टीका की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक जोनास साल्क को समर्पित है। जोनास साल्क की टीम ने साल 1955 में पोलियो टीका की खोज की थी। विश्व पोलियो दिवस मनाने की शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल ने की है। इसकी शुरुआत पोलियो टीका की खोज करने वाली टीम के सदस्य जोनास साल्क के जन्मदिन पर की गई है।
बच्चों को ही क्यों पिलाई जाती है दवा
पोलियो एक संक्रामक रोग है जो एक ऐसे वायरस से उत्पन्न होता है, जो गले तथा आंत में रहता है। यह आम तौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से फैलता है। यह नाक और मुंह के स्राव से भी फैलता है। यह मुख्यत एक से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को ही प्रभावित करता है, क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है।
पोलियो-मुक्त होने के बावजूद पोलियो पर इतना ध्यान इसलिये दिया जा रहा है क्योंकि पोलियो वायरस के भारत में वापसी नहीं हो सके। क्योंकि हाल ही में कई देशों में पोलियो के मामले सामने आए हैं। ऐसी बीमारी है जिसका कोई उपचार नहीं हो सकता। इसे केवल मुंह द्वारा दिये जानेवाले वैक्सिन यानी ओपीवी से रोका जा सकता है।
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