वर्दी पहनने के जुनून में दूर तक पैदल जाती थी पढ़ने, 8 बहनों और मां को पाला; फिर बनी पुलिस अफसर

Published : Jan 01, 2020, 03:09 PM ISTUpdated : Jan 01, 2020, 05:23 PM IST
वर्दी पहनने के जुनून में दूर तक पैदल जाती थी पढ़ने, 8 बहनों और मां को पाला; फिर बनी पुलिस अफसर

सार

भाई की तलाब में डूबने से मौत होने पर न टूटने वाली बहन और अपनी मां और 8 बहनों को अकेले पालने वाली इस हिम्मती अफसर की कहानी  

नई दिल्ली:  पैरों में गरीबी और असुविधाओं की कितनी ही बेड़ियां जकड़ी हों लेकिन जब सिर पर जुनून सवार हो तो मुकाम हासिल हो ही जाता है। इस बात को सौ आने सच कर दिखाया है एक महिला अफसर ने, जो कभी पढ़ने के लिए पैदल स्कूल जाया करती थी। इनके संघर्ष को देख अच्छे-अच्छों की सांस हलक में अटक जाए। ये कहानी है दमोह जिले की रनेह थाना प्रभारी सविता रजक की। आइए जानते हैं भाई की तलाब में डूबने से मौत होने पर न टूटने वाली बहन, अपनी मां और 8 बहनों को अकेले पालने वाली इस हिम्मती अफसर की कहानी....

सविता रजक को पढ़ाई का ऐसा जुनून था कि वह 2 किमी पदैल चलकर स्कूल और कॉलेज जाती थीं। इसके पीछे उनका खास मकसद था कि वो पुलिस की भर्ती के लिए खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बना सकें।

पढ़ाई के बाद की शिक्षक की नौकरी 

पुलिस में भर्ती होकर समाज और देश की सेवा का जुनून सविता के सिर बचपन से ही सवार हो गया था। वह पढ़ाई में अच्छी थीं और लगातार अच्छे मार्क्स लाती थीं। पिता की नौकरी चली गई तो उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में पढ़ाने का भी काम किया। खुद की पढ़ाई और स्कूल में पढ़ाने के दौरान सविता ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन भी देना स्टार्ट कर दिया था। इसी बीच सविता का सेलेक्शन पटवारी में हो गया लेकिन उनका अरमान सिर्फ इतना नहीं था।

मध्यप्रदेश के सागर जिले की रहली निवासी सविता रजक का शिक्षाकाल संघर्षपूर्ण रहा। शिक्षाकाल के समय पिता की नौकरी चली गई, एक भाई था जिसकी तालाब में डूबकर मौत हो गई। अब घर में रह गई थी 8 बहनें और मां। दो बहनों की शादी हो चुकी थी। जब सविता जिम्मेदारी का अहसास हुआ तो उन्होंने सरकारी सेवा में केवल पुलिस की नौकरी का दृढ़ संकल्प लिया।

2014 में मिली सफलता

इस संकल्प के लिए उन्होंने स्कूल लाइफ से मन मस्तिष्क में बिठाया और पुलिस की नौकरी करने लायक अपने शरीर को ढालने का प्रयास किया। अध्ययन के दौरान सविता रजक स्कूल व कॉलेज पदैल ही चलकर जाती थी।

पढ़ाई के बाद 2007 में रहली में शिक्षक बन गई थी, इसी दौरान पटवारी की परीक्षा का फार्म भर दिया और 2008 में रहली में ही पटवारी के पद पर चयन हो गया था। पटवारी की नौकरी करते हुए उन्होंने पुलिस की वर्दी पहने की चाहत नहीं नहीं छोड़ी। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें 2014 में सफलता दिलाई।

थानों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका 

सविता का चयन पुलिस महकमे में उपनिरीक्षक पद के लिए किया गया। ट्रेनिंग के बाद पहली पदस्थापना दमोह देहात थाना में हुई, तबसे सविता जिले के अन्य थानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इमलिया चौकी प्रभारी के पद पर पदस्थ रहते हुए उन्होंने  25 हजार के ईनामी हत्या के आरोपी को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रनेह थाना प्रभारी सविता रजक अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर दूसरों को प्रेरणा देती है कि आप जो चाहते हैं उसका सपना संजोएं, दृढ़ संकल्प करें और अथक परिश्रम कर तैयारी करें तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।

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