अंग्रेजी की वजह से बार बार होते थे फेल, हिंदी के लड़के ने खुद ढूंढा तरीका और यूं बन गए IAS अफसर

यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में कई लोग अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण भी सफलता नहीं हासिल कर पाते हैं। कई कैंडिडेट्स अंग्रेजी तो जानते हैं, पर धाराप्रवाह बोल नहीं पाते। इससे भी उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है। 

करियर डेस्क। जो लोग हिंदी माध्यम से शिक्षा हासिल करते हैं, उनकी अंग्रेजी अगर कमजोर नहीं भी होती है तो वे धाराप्रवाह इस भाषा को बोलने में कुछ परेशानी महसूस करते हैं, क्योंकि इसका उन्हें अभ्यास नहीं होता। यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में कई लोग अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण भी सफलता नहीं हासिल कर पाते हैं। कई कैंडिडेट्स अंग्रेजी तो जानते हैं, पर धाराप्रवाह बोल नहीं पाते। इससे भी उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है। वैसे, अब तो हिंदी माध्यम से पढ़े कैंडिडेट्स काफी संख्या में  सिविल सर्विस की परीक्षा में सफल हो कर आईएएस अधिकारी बन रहे हैं, पर पहले ऐसी बात नहीं थी।

आज हम आपको एक ऐसे कैंडिडेट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने में दिक्कत होती थी और उन्हें लगता था कि इस वजह से कहीं वे इस परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर सकें, लेकिन लगातार कोशिश और दृढ़ निश्चय से उन्हें सफलता मिली और साल 2007 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 69वीं रैंक हासिल की।

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ये शख्स हैं जम्मू-कश्मीर से संबंध रखने वाले अभिषेक शर्मा। इनका कहना है कि वे ऐसे क्षेत्र से आते थे, जहां से शायद ही कोई आईएएस ऑफिसर बना हो। उन्होंने बताया कि उनका शुरू से ही सपना था सिविल सर्विस में सफलता हासिल करना। उन्होंने सोच रखा था कि इसके लिए चाहे जितना संघर्ष करना पड़ा, वे पीछे नहीं हटेंगे। बस मन में एक ही डर था और वह अंग्रेजी का। अभिषेक शर्मा धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल पाते थे। इस वजह से दो बार वे मेन्स एग्जाम पास करने के बावजूद इंटरव्यू में फेल हो जाते थे। 

अभिषेक बताते हैं कि सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी के लिए वे दिल्ली आ गए थे और एक कोचिंग क्लास ज्वाइन कर लिया था। उनकी तैयारी ठीक थी। दो बार उन्होंने यह परीक्षा पास कर ली थी, पर अंग्रेजी में इंटरव्यू होने के कारण वे सही तरीके से सवालों के जवाब नहीं दे पाते थे और कम नंबर आने के कारण फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाता था। इसके बाद उन्होंने हिंदी माध्यम से इंटरव्यू देने के बारे में सोचा।

इस बीच, उन्होंने अंग्रेजी के अखबार और मैगजीन्स पढ़ने शुरू कर दिए और इस भाषा पर अच्छी पकड़ बना ली। लेकिन फिर भी उन्होंने हिंदी माध्यम से ही इंटरव्यू दिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ। इसके बाद उन्हें सफलता मिल गई। अभिषेक शर्मा का कहना है कि भाषा को लेकर मन में खौफ का होना सही नहीं है। हर भाषा का महत्व एक जैसा ही है। हिंदी माध्यम से भी आईएएस की परीक्षा में सफलता पाना मुश्किल नहीं है।  

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