Surya Grahan 2022: सूर्यग्रण को लेकर क्या कहता है विज्ञान, 10 पॉइंट में समझिए
विज्ञान के अनुसार, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तब सूर्य की रोशनी ढक जाती है और पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इसी खगोलीय घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण की घटना होती है।
करियर डेस्क : आज सूर्यग्रहण (Surya Grahan 2022) लगने जा रहा है। देश के खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिवाली के एक दिन बाद लगने वाला यह सूर्यग्रहण भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में आसानी से देखने को मिलेगा। पूर्वी भाग में ग्रहण नहीं दिखाई देगा, इसका कारण है वहां सूर्यास्त का जल्दी हो जाना। ग्रहण एक खगोलीय घटना माना जाता है। आइए जानते हैं सूर्यग्रहण को लेकर क्या कहता है विज्ञान...
जब चांद, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, तब सूर्य को पूर्ण या आंशिक रूप से ढक लेता है। इसका अर्थ कि जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आता है। तब चंद्रमा के पीछे कुछ वक्त के लिए सूर्य का बिंब ढक जाता है। विज्ञान इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहता है।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, 18 साल 18 दिन की अवधि में 41 सूर्य ग्रहण लगता है, जबकि इतनी ही अवधि में 29 चंद्र ग्रहण।
खगोल शास्त्रियों के मुताबिक, किसी भी एक साल में पांच सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण हो सकते हैं।
खगोल शास्त्री यह भी मानते हैं कि एक साल में सिर्फ दो ही सूर्यग्रहण होने चाहिए। ऐसा भी होता है कि अगर किसी एक साल में सिर्फ दो ग्रहण लगता है, तब दोनों ही सूर्यग्रहण ही होंगे। हालांकि एक साल में सात ग्रहण पड़ सकते हैं।
अब तक के मानव इतिहास में एक साल में चार से ज्यादा ग्रहण कम ही देखने को मिले हैं।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, 18 साल 11 दिन के बाद हर ग्रहण फिर से होता है।
अक्सर देखने को मिला है कि सूर्यग्रहण की अपेक्षा साल में चंद्र ग्रहण ज्यादा होते हैं, इसका कारण है पृथ्वी के आधे से ज्यादा हिस्से में इसका दिखना। जबकि सूर्यग्रहण कम ही हिस्से में देखने को मिलता है।
सूर्य ग्रहण को कभी भी खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि जब चांद सूर्य के आगे आता है, तब सूर्य का प्रकाश कुछ देर के लिए ही सही ढक जाता है। ऐसे में जब अचानक चंद्रमा हटता है, तब उसका प्रकाश आंखों पर पड़ता है, इससे आंखें हमेशा के लिए प्रभावित भी हो सकती हैं।
सूर्यग्रहण की अवधि में पराबैंगनी किरणें निकलती हैं, अगर इसे सीधे देख लिया जाए तो आंखों की रोशनी का खतरा होने का डर रहता है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें रेटिना को प्रभावित कर सकती हैं।
सूर्यग्रहण की अवधि में सभी मंदिरों के कपाट बंद कर देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिरों का निर्माण इस तरह किया जाता है, जिससे उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जबकि सूर्यग्रहण के दौरान वातावरण में अशुद्ध किरणें काफी होती हैं।