सार
लेह-लद्दाख, जम्मू, श्रीनगर, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश में सूर्यग्रहण दिखाई देगा। ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार में थोड़े समय इसका असर रहेगा। असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड में सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा।
करियर डेस्क : आज दिवाली (Diwali 2022) का फेस्टिवल मनाया जा रहा है। अगले दिन यानी 25 अक्टूबर, 2022 को सूर्यग्रहण (Surya Grahan 2022) लगने जा रहा है। भारतीय समयानुसार, सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर की शाम करीब 4.22 से शुरू होगा और शाम 6.25 पर समाप्त होगा। ग्रहण का मध्य काल 5.28 पर रहेगा। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले ही लग जाएगा। सूर्यग्रहण पर देश-दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिक भी साल के आखिरी सूर्यग्रहण में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्यग्रहण का इतिहास क्या है? पहली बार कब, कहां और कैसे सूर्यग्रहण लगा था और जब पहली बार लोगों ने इसे देखा तब क्या हुआ था? अगर नहीं तो पॉाइंट टू पॉइंट समझें सूर्यग्रहण के इतिहास की घटनाएं...
- ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन पाया जाता है। महर्षि अत्रि ने इन लपटों को रक्ताभमेष कहा था।
- इतिहास के अनुसार, पहली बार सूर्यग्रहण का प्रमाण यूनान में मिला था। बेवोलियन के प्राचीन लोग 2000 ईसवी पूर्व से ही सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करते थे।
- ईसा पूर्व 2136 में चीन में ग्रहण का लिखित प्रमाण मिलता है।
- कहा जाता है कि फ्रांस में 21 अगस्त, 1560 जब पहली बार सूर्यग्रहण की घटना हुई तब लोग अपने-अपने घरों में बंद हो गए थे।
- 1851 में सूर्य ग्रहण की पहली फोटो ली गई थी. साल 1860 में सूर्यग्रहण के फोटोग्राफी के वैज्ञानिक उपयोग की शुरुआत की गई थी। इसी स्टडी से पता चला था कि सूर्य की बाहरी परत पर गुलाबी चमकदार लपटें होती हैं। जिसे सोलर प्रामिनेन्सिस कहा जाता है।
- 1955 में फिलीपींस में सबसे ज्यादा देर तक सूर्यग्रहण देखा गया। यह 7 मिनट 51 सेकंड का बताया गया।
- 1973 में जब सूर्यग्रहण लगा, तब कॉनकार्ड विमान में वैज्ञानिकों ने अपने उपकरणों के साथ ग्रहण का करीब 3,000 किलोमीटर तक पीछा किया. इसके बाद 72 मिनट तक ग्रहण पर रिसर्च किया गया।
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