अमित दहिया को शौर्य चक्र : कश्मीर में हमला करने आए दो आतंकी मारे, चार साल में ही कैप्टन से मेजर बने

अमित दहिया ने साल 2016 में बतौर कैप्टन आर्मी जॉइन किया था। उनकी बहादुरी के देखते हुए चार साल में ही उन्हें मेजर बना दिया गया। कश्मीर के पुलवामा में उन्होंने आतंकियों को धूल चटा दी थी। इस स्वतंत्रता दिवस उन्हें शौर्य चक्र प्रदान किया गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2022 10:49 AM IST

करियर डेस्क : सेना के जांबाज मेजर अमित दहिया (Amit Dahiya) की बहादुरी के लिए इस स्वतंत्रता दिवस (Swantantrta Diwas 2022) के अवसर पर उन्हें शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) से सम्मानित किया गया। उनकी वीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2016 में बतौर कैप्टन उन्होंने आर्मी जॉइन की और चार साल में ही मेजर बन गए। वह हरियाणा (Haryana) के सोनीपत (Sonipat) जिले के गोपालपुर के रहने वाले हैं। बेटे के इस सम्मान से पूरा जिला गर्व महसूस कर रहा है। उनके गांव में इसका जश्न भी मनाया गया। यहां जानिए मेजर अमित दहिया ने कैसे 6 साल में ही शौर्य तक का सफर तय किया...

कश्मीर में आतंकी मार गिराए
स्पेशल फोर्स के मेजर अमित दहिया को पुलवामा में छिपे दो आतंकियों को ढेर करने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। साल 2019 की बात है। अमित दहिया की तैनाती कश्मीर में थी। तब सेना के एक ऑपरेशन के दौरान उनकी टीम ने कई आतंकियों को मार गिराया था। उन्होंने खुद दो आतंकवादियों को बड़ी बहादुरी से मार गिराया था। उनकी इसी वीरता के चलते जून 2020 में उन्हें मेजर बनाया गया। 

पहले सेना मेडल अब शौर्य चक्र
मेजर अमित दहिया को उनकी बहादुरी के लिए 15 अगस्त, 2020 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। तब उनके गांव में बड़ा जश्न मनाया गया था। इस सम्मान के बाद जब मेजर अमित गांव पहुंचे थे तब गांव वालों ने उन्हें खुली जीप में बैठाकर पूरा गांव घुमाया था। उन्हें चांदी का रथ भी भेंट किया गया था। अब इस साल 15 अगस्त, 2022 को मेजर अमित को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। बेटे के इस सम्मान से परिवार और पूरा गांव खुश है।

शौर्य का सम्मान
मेजर अमित समेत इस स्वतंत्रता दिवस 8 जवानों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इसमें सिपाही कर्ण सिंह. गनर जसबीर सिंह, मेजर नितिन धानिया, मेजर संदीप कुमार, मेजर अभिषेक सिंह, हवलदार घनश्याम और लांस नायक राघवेंद्र सिंह का नाम शामिल है। सिपाही कर्ण वीर सिंह, गनर जसबीर सिंह को मरणोपरांत यह सम्मान मिला है।

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