शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जिन कैंडिडेट्स या छात्रों के प्रमाणपत्र की सात वर्ष की अवधि पूरी हो गई है, उनके बारे में संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निधारण करने या नया टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने के लिये जरूरी कदम उठायेंगे।
करियर डेस्क. केंद्र सरकार ने टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (Teachers Eligibility Test) की वैधता सात साल से आजीवन करने का फैसला लिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इसकी घोषणा की। सरकार के इस फैसले के बाद टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करने वाले कैंडिडेट्स को फायदा होगा।
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फैसले से बढ़ेंगे रोजगार के मौके
शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जिन कैंडिडेट्स या छात्रों के प्रमाणपत्र की सात वर्ष की अवधि पूरी हो गई है, उनके बारे में संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निधारण करने या नया टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने के लिये जरूरी कदम उठायेंगे। यह व्यवस्था 2011 से प्रभावी मानी जाएगी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि शिक्षण क्षेत्र में करियर बनाने के कैंडिडेट्स के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में यह एक पॉजिटिव कदम होगा।
जरूरी प्रमाण पत्र
उन्होंने कहा कि इस कदम से शिक्षण के क्षेत्र में अपना करियर बनाने को इच्छुक उम्मीदवारों के लिये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये किसी व्यक्ति की पात्रता के संबंध में शिक्षक पात्रता परीक्षा का योग्यता प्रमाणपत्र एक जरूरी पात्रता है।
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अभी क्या था नियम
टीईटी की एग्जाम पास करने वाले कैंडिडेट्स को अगर सात साल के भीतर टीचर्स की जॉब नहीं मिलती है तो तो फिर से उसे टीईटी परीक्षा पास करनी होती थी। अब ऐसा नहीं है, एक बार टीईटी पास करने बाद इसका प्रमाणपत्र आजीवन मान्य रहेगा। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के 11 फरवरी 2011 के आदेश में कहा था कि राज्य सरकार टीईटी का आयोजन करेंगी और टीईटी योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि परीक्षा पास होने की तिथि से सात वर्ष तक होगी।