JNU के कैंडिडेट से आईएएस के इंटरव्यू में पूछा गया जेएनयू आंदोलन से जुड़ा सवाल, जानें क्या दिया जवाब

हर साल लाखों की संख्या में कैंडिडेट्स यूपीएससी की परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन कुछ सौ कैंडिडेट्स ही देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में पास कर पाते हैं। बहरहाल, इस परीक्षा को पास कर इंटरव्यू में शामिल होने वालों के लिए यह अनुभव कभी-कभी बहुत रोचक हो जाता है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2019 9:01 AM IST

करियर डेस्क। हर साल लाखों की संख्या में कैंडिडेट्स यूपीएससी की परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन कुछ सौ कैंडिडेट्स ही देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में पास कर पाते हैं। बहरहाल, इस परीक्षा को पास कर इंटरव्यू में शामिल होने वालों के लिए यह अनुभव कभी-कभी बहुत रोचक हो जाता है। साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले विकास सुंदा जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र रहे हैं। उनसे इंटरव्यू के दौरान इस यूनिवर्सिटी में चलने वाले आंदोलनों को लेकर ही सवाल कर दिया गया। विकास ने इस परीक्षा में 584वीं रैंक हासिल की।

इंटरव्यू के दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए। एक सवाल पूछा गया कि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है, पर यह एक नाखुश देश (Unhappy Nation) है। क्या आप इससे सहमत हैं? इसके जवाब में विकास ने कहा कि आर्थिक विकास से ही खुशी नहीं मिल सकती। जब देश के लोग संतुष्ट और खुश होंगे, तब वहां का विकास सही माना जाएगा। इसके साथ ही लोगों में मानसिक शांति भी होनी चाहिए। विकास सुंदा ने कहा कि भारत में अभी इसकी कमी है।  

विकास से एक सवाल जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चलने वाले आंदोलनों को लेकर भी पूछा गया। उनसे पूछा गया कि हाल के दिनों में जेएनयू अच्छी वजहों से चर्चा में नहीं है, इसे लेकर आपका क्या कहना है। इस पर विकास ने जवाब में कहा कि जेएनयू की छवि वैसी नहीं है जैसी मीडिया में दिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जेएनयू में खुलापन है और आप वहां किसी बात को लेकर खुल कर बातचीत कर सकते हैं। वहां के स्टूडेंट्स जागरूक हैं और वे सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर सवाल खड़े करते हैं। विकास सुंदा ने जेएनयू को एक आदर्श संस्थान बताते हुए कहा कि मीडिया में इसकी जो छवि बनाई गई है, उससे उनकी असहमति है। विकास के इस जवाब से इंटरव्यू लेने वाले काफी संतुष्ट दिखे। 

 
 

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