ऑटो ड्राइवर के बेटे ने UPSC में रचा था इतिहास, गरीब का बेटा बना सबसे कम उम्र का ऑफिसर

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में ऐसे ही कैंडिडेट्स सफल होते हैं, जो अच्छे-खासे परिवारों से आते हैं और जिन्हें हर सुविधा हासिल होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। 

करियर डेस्क। ज्यादातर लोगों की सोच होती है कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में ऐसे ही कैंडिडेट्स सफल होते हैं, जो अच्छे-खासे परिवारों से आते हैं और जिन्हें हर सुविधा हासिल होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। हाल के वर्षों में ना जाने ऐसे कितने कैंडिडेट्स ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पाई और आईएएस ऑफिसर बने, जो सामान्य व गरीब परिवारों से आए थे। उन्हें किसी तरह की कोई सहूलियत भी हासिल नहीं थी, लेकिन अपने संघर्ष, कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत उन्होंने देश की इस सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल की। ऐसे ही कैंडिडेट्स में अंसार अहमद शेख का नाम आता है, जो इस परीक्षा में सफल होने वाले सबसे युवा उम्मीदवार थे। बता दें कि अंसार अहमद शेख एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाने का काम करते थे।

महज 21 साल में क्रैक किया यूपीएससी
अंसार अहमद शेख ने महज 21 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। खास बात तो यह रही कि शेख पहले ही प्रयास में इस परीक्षा में सफल रहे और उन्हें 361वीं रैंक मिली। यह परीक्षा उन्होंने साल 2015 में पास की। 

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महाराष्ट्र के एक गरीब परिवार से रखते हैं ताल्लुक
बता दें कि अंसार अहमद शेख महाराष्ट्र के जालौन के एक छोटे से गांव के एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। इनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे और इनके एक भाई मैकेनिक थे। उनका परिवार काफी ट्रेडिशनल था और उनके पिता की तीन पत्नियां थीं। घर में भी पढ़ाई-लिखाई का कोई खास माहौल नहीं था और उनके छोटे भाई ने पढ़ाई छोड़ दी थी। उनकी बहनों की शादी भी कम उम्र में ही हो गई थी। लेकिन शेख बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे। स्कूल से लेकर कॉलेज तक इन्होंने पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई उपलब्धियां हासिल की। 

पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से की पढ़ाई
कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद शेख ने फर्ग्युसन कॉलेज में बीए में दाखिला लिया और पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने 12वीं में 91वीं फीसदी अंक हासिल किया था। स्कूल में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने यह सोच लिया था कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करनी है और किसी भी हाल में उसमें सफल होना है। कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही शेख ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 

आसानी से नहीं मिली सफलता
यह अलग बात है कि अंसार अहमद शेख ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली, लेकिन इसके पीछे वर्षों की मेहनत थी। उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए लगातार तीन वर्षों तक कठिन संघर्ष किया था और 12-12 घंटे पढ़ाई किया करते थे। अपने स्कूल के दिनों के संघर्ष के बारे में बताते हुए अंसार अहमद शेख कहते हैं कि नौबत तो ऐसी आ गई थी कि घर में लोग 10वीं के बाद उनकी पढ़ाई छुड़वाना चाहते थे, लेकिन उनके एक शिक्षक ने उनके घर वालों की इस बात का विरोध किया और उनकी पढ़ाई जारी रही। शेख कहते हैं कि उन दिनों स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील ही उनकी भूख मिटाने का जरिया होता था। 

घर के हालात थे बहुत बुरे
यह अलग बात थी कि अंसार अहमद शेख अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ रहे थे, लेकिन उनके घर की माली हालत खराब ही होती जा रही थी। पिता को ऑटो रिक्शा चलाने से इतनी आमदनी नहीं होती थी कि घर के सारे खर्चे पूरे कर सकें। इसलिए उनकी मां भी खेतों में मेहनत-मजदूरी करती थी। यह देख कर कभी-कभी शेख को लगता था कि वे कोई नौकरी कर परिवार की मदद करें, लेकिन तब उनके घर के लोगों ने उन्हें कहा कि वे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगे रहें। जब इतना संघर्ष कर लिया तो कुछ और सही। इसके बाद अंसार अहमद शेख पूरे मन से तैयारी में लग गए। आखिरकार, जब सफलता मिली तो एकबारगी उनके परिवार के लोगों को भी इस पर यकीन नहीं हुआ। आज अंसार अहमद शेख प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं और पश्चिम बंगाल सरकार में ओएसडी पद पर कार्यरत हैं।  

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