ट्रेन में पढ़ाई कर इस शख्स ने क्रैक किया UPSC, जानें कैसे हासिल की सफलता

अगर इंसान अपना एक लक्ष्य तय कर ले और उसे हासिल करने के लिए ईमानदारी से पूरी मेहनत करे तो कोई मुश्किल उसकी सफलता में बाधक नहीं बन सकती।

करियर डेस्क। अगर इंसान अपना एक लक्ष्य तय कर ले और उसे हासिल करने के लिए ईमानदारी से पूरी मेहनत करे तो कोई मुश्किल उसकी सफलता में बाधक नहीं बन सकती। कुछ ऐसी ही कहानी है कि शशांक मिश्रा की, जिन्होंने बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा था। शशांक मिश्रा के पिता उत्तर प्रदेश में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर थे। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। लेकिन शशांक जब 12वीं में ही पढ़ रहे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद पूरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन इसके बावजूद शशांक मिश्रा ने हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा। जब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी तो पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिली। उनका सिलेक्शन एलाइड सर्विस में हो गया। इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने 5वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया। 

आईआईटी से किया बीटेक
जब शशांक मिश्रा के पिता की मृत्यु हुई तो उस समय वह 12वीं में पढ़ाई करने के साथ ही आईआईटी में एडमिशन के लिए तैयारी कर रहे थे। पिता की मृत्यु के बाद तीन भाई-बहनों की जिम्मेदारी उन पर ही आ गई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी और ट्यूशन वगैरह पढ़ाते हुए अपनी तैयारी भी जारी रखी। 

Latest Videos

छोड़ दी अमेरिकी कंपनी की अच्छी नौकरी
आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता पाने के बाद शशांक मिश्रा ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद उनकी अमेरिका की एक कंपनी में अच्छे पैकेज पर जॉब लग गई, लेकिन आईएएस बनने का लक्ष्य होने के कारण उन्होंने यह जॉब छोड़ दी और यूपीएससी एग्जाम की तैयारियों में लग गए। उन्होंने साल 2004 में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की।

आर्थिक तंगी का करना पड़ा सामना
कोई जॉब नहीं होने के कारण शशांक मिश्रा और उनके परिवार को काफी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था। शशांक ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का काम शुरू कर दिया। लेकिन उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि व दिल्ली में कोई कमरा किराए पर ले सकें। इसलिए वे रोज मेरठ से दिल्ली ट्रेन से आने-जाने लगे। मेरठ से दिल्ली आने-जाने में उन्हें 4 घंटे लगते थे। इस दौरान वे ट्रेन में ही पढ़ाई करते थे। शशांक मिश्रा के साथ कई बार ऐसी स्थिति सामने आई कि उन्हें भर पेट खाना नहीं मिल सका और उन्होंने कई-कई दिन बिस्किट पर गुजारा किया। आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2007 में उन्होंने यूपीएससी में सफलता हासिल कर ली।    

Share this article
click me!

Latest Videos

झांसी में चीत्कारः हॉस्पिटल में 10 बच्चों की मौत की वजह माचिस की एक तीली
AAP की चोट पर लग गया मरहम! गहलोत के जाने के बाद केजरीवाल ने BJP को दे दिया झटका । Anil Jha
झांसी ने देश को झकझोरा: अस्पताल में भीषण आग, जिंदा जल गए 10 मासूम
Akhilesh Yadav: 'अब हिले हुए दिखाई दे रहे हैं हमारे डरे हुए मुख्यमंत्री' #Shorts
Rahul Gandhi Speech: राहुल गांधी ने Biden से क्यों की PM Modi की तुलना, कहा- हो गया ये प्रॉब्लम