अमेरिका में हर साल के पहले महीने में 'दशक का शब्द' चुने जाने की परिपाटी है। वहां के भाषा वैज्ञानिक यह काम करते हैं। इस बार एक प्रोनाउन यानी सर्वनाम को दशक का शब्द चुना गया है।
करियर डेस्क। अमेरिका में हर साल के पहले महीने में 'दशक का शब्द' चुने जाने की परिपाटी है। वहां के भाषा वैज्ञानिक यह काम करते हैं। इस बार एक प्रोनाउन यानी सर्वनाम को दशक का शब्द चुना गया है। बता दें कि इसके पहले 'क्लाइमेट' और 'मीम' जैसे शब्द 'दशक का शब्द' होने का दर्जा हासिल कर चुके हैं।
इस बार एक प्रोनाउन यानी सर्वनाम को 'दशक का शब्द' चुना गया है। यह सर्वनाम है 'दे' यानी 'वे'। खास बात यह है कि यह सर्वनाम स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, इसका पता नहीं चलता। सर्वनामों से लिंग का बोध तब होता है, जब उनके पहले नाउन यानी संज्ञा का प्रयोग किया गया हो। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो यह, वह, वे, ये जैसे सर्वनाम अपने आप में किसी लिंग का बोध नहीं कराते।
आज ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है कि जो अपनी पहचान स्त्री या पुरुष के रूप में नहीं कराना चाहते। ये अपने लिए जेंडर-फ्री संबोधन चाहते हैं। ऐसे लोगों की तादाद यूरोप और अमेरिका में बढ़ती ही जा रही है। ये 'ही' और 'शी' की जगह खुद को 'दे' कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। 'दे' संबोधन ये लोग ज्यादा इसलिए पसंद करते हैं कि इससे लिंग का बोध नहीं होता और यह उनकी जेंडर-फ्री पहचान के लिए ज्यादा उपयुक्त है। बता दें, 'दशक का शब्द' चुनने का काम भाषा की उत्पत्ति का अध्ययन करने वाली संस्था अमेरिकन डाइलेक्ट सोसाइटी करती है। इसके प्रमुख बेन जिम्मर हैं।