चलाती थीं NGO, लेकिन बड़े मकसद को हासिल करने के लिए बनीं आईएएस ऑफिसर

अनुपमा अंजलि समाज के गरीब और वंचित समुदाय के लोगों की मदद के लिए एक स्वयंसेवी संस्था (NGO) चलाती थीं, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि सिविल सर्विस में जाकर वे इस काम को और भी बेहतर तरीके से कर सकती हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 10:36 AM IST / Updated: Jan 22 2020, 04:12 PM IST

करियर डेस्क। आज यूपीएससी की परीक्षा में समाज के हर तबके के शिक्षित युवा भाग ले रहे हैं। यह अलग बात है कि यूपीएससी एग्जाम में सफलता आसानी से नहीं मिलती, लेकिन जिनमें लगन और इस परीक्षा में सफलता हासिल करने का जज्बा हो, उन्हें इस प्रतिष्ठित सेवा में शामिल होने का मौका जरूर मिलता है। अब समाज के हर वर्ग के युवा ज्यादा से ज्यादा संख्या में यूपीएससी परीक्षा में भाग ले रहे हैं। अनुपमा अंजलि समाज के गरीब और वंचित समुदाय के लोगों की मदद के लिए एक स्वयंसेवी संस्था (NGO) चलाती थीं, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि सिविल सर्विस में जाकर वे इस काम को और भी बेहतर तरीके से कर सकती हैं। उन्होंने सोशल वर्क का अपना काम जारी रखा और यूपीएससी के एग्जाम की तैयारियों में भी जुट गईं। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2018 का यूपीएससी एग्जाम उन्होंने क्रैक कर लिया। उन्हें 386वीं रैंक मिली।

दादा और पिता थे सिविल सर्विस में
बता दें कि अनुपमा अंजलि के दादा और पिता भी सिविल सर्विस में ही थे। पढ़ाई के दौरान ही अनुपमा समाज-सेवा के कामों से जुड़ गई थीं और बाद में उन्होंने एक एनजीओ भी बना लिया। इसके जरिए वे समाज के गरीब और वंचित तबके के लोगों के लिए काम करती थीं। इसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि सिविल सर्विस में जाकर यह काम वे और भी बेहतर तरीके से कर सकती हैं। 

लिया यूपीएससी एग्जाम देने का निर्णय
अनुपमा ने एनजीओ के काम के साथ ही यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करनी शुरू कर दी। इसमें उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं आई। पढ़ाई में वे पहले से ही उन्होंने काफी बेहतर किया था और समाज-सेवा के कामों से जुड़ी रहने के कारण वे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, हर तरह के मुद्दों के प्रति जागरूक थीं। अनुपमा अंजलि का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करना बड़ी बात नहीं है, बस इसके लिए कोई बड़ा मकसद सामने होना चाहिए।

सहजता के साथ करें तैयारी
अनुपमा का कहना है कि ज्यादातर उम्मीदवार इस परीक्षा को लेकर सहज नहीं रह पाते। वे तैयारी को लेकर कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने लगते हैं। इससे कोई फायदा नहीं होता। कभी भी तैयारी को एक बोझ के रूप में नहीं लेना चाहिए। कई लोग तैयारी के लिए समाज और परिवार से पूरी तरह कट जाते हैं और कई-कई घंटे स्टडी करते हैं। अनुपमा का कहना है कि यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने के सबके अपने तरीके हैं, लेकिन उन्होंने अपने रूटीन के हिसाब से काम करते हुए तैयारी की। 

मनोरंजन के लिए भी समय निकालें
अनुपमा का कहना है कि कोई लगातार परीक्षा की तैयारी करता रहेगा तो एक समय के बाद बोर हो जाएगा। इसलिए बीच-बीच में मनोरंजन के लिए भी समय निकालें। उन्होंने कहा कि कई कैंडिडेट पढ़ाई में इस कदर तल्लीन हो जाते हैं कि नियमित एक्ससाइज करना या टहलना-घूमना भी छोड़ देते हैं। इसका सही असर नहीं पड़ता। अगर हम सहज रहेंगे तो तैयारी पर ज्यादा बढ़िया से फोकस कर सकेंगे। अनुपमा अंजलि का कहना है कि उन्होंने मेडिटेशन का सहारा लिया और दिन की शुरुआत इसी से करती थीं। इससे उनका मनोबल हमेशा बना रहा और एग्जाम को लेकर उन्हें किसी तरह का कोई तनाव नहीं हुआ। 

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