Uttarakhand की शान याक्षी यक्ष, जिनकी लिखी हुई कविता को बेहद किया जा रहा है पसंद

उत्तरांचल की शान युवा कवियित्री याक्षी यक्ष ने 21 अप्रैल को आपने द्वारा लिखी गयी पुस्तक का लोकार्पण किया| याक्षि यक्ष के बड़े सपने हैं.. याक्षी ने रुड़की का ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराँचल का नाम रोशन किया है।

रुड़की, उत्तराखंड: उत्तरांचल की शान युवा कवियित्री याक्षी यक्ष ने 21 अप्रैल को आपने द्वारा लिखी गयी पुस्तक का लोकार्पण किया। याक्षि यक्ष के बड़े सपने हैं.. याक्षी ने रुड़की का ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराँचल का नाम रोशन किया है, याक्षि बड़े काम कर रही हैं और युवाओं की प्रेरणा बन रही हैं। पुस्तक विमोचन के बाद देखिये याक्षि ने अपनी ज़िन्दगी और कविताओं के बारे में कुछ बातें बताई जो हर युवा को सुन्नी चाहिए।

आपको बता दे, युवा कवि याक्षी यश जिनकी कविताएं एवं नज़्म तेजी से वाइरल हो रही है|उनका कहना है की काबिलत पर विश्वास रखने वालो की कभी हार नहीं होती अगर हौसले बुलंद हो तो कामयाब होने से आपको कोई नहीं रोक सकता फिर चाहे रास्ते में कितनी भी कठिनाइया क्यों ना हो और ये हम सब जानते है कि बिना मेहनत के कभी भी मंजिल नहीं मिलती हमें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है|

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आज हम आपको एक युवा कवि याक्षी यश के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने रुड़की का ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराँचल का नाम रोशन किया है इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल करना कोई आसान काम नहीं है जो रुड़की की होनहार ने कर दिखाया

कैसे हुई शुरुआत

याक्षी यश के कैरियर की शुरुवात स्कूल प्रोग्राम से हुई जहां उन्होंने अपने दिल में छिपे हुआ डर को बाहर निकाला और स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपनी कविता सुनाई जिसके बाद सबको उनकी कविता बहुत पसंद आई और उससे याक्षी यश को काफी मोटीवेशन भी मिला जिसका बाद उन्होंने सोच लिया की बस अब तो यही मेरी मंजिल है और हर दिन नई नई कविताएं नज्म लिखना शुरू कर दिया जिसके बाद काॅलेज की मैंगजीन में याक्षी लिखी कविताएँ व नज्म छपने लगी।

कौन है प्रेरणास्रोत

राहत फतेह इंदौरी साहब तो इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन भारत के युवाओं में एक जुनून और जज्बा छोड़ गए जिनमें एक काम याक्षी यश का भी शामिल है याक्षी कहती है कि अगर वो आज इस मकाम पर है तो एक वजह ये भी है कि वो हमेशा इंदौरी साहब को फॉलो करती रही है

जानिए कैसे हुई याक्षी यश के कैरियर की शुरुआत

याक्षी यश रुड़की निवासी का कहना है कि वह ग्यारह वर्ष की आयु में छोटी-छोटी कविताएँ लिखा करती थी। इसके बाद वे हाॅस्टल में पढने चली गई। वो वहाँ अकेली बैठी रहती थी। अपनी अन्दर की भावनाओं को लिखना शुरू कर दिया। अपनी लिखी नज्म व कविताओं को अपने दोस्तो एव गुरूजनों को पढकर सुनाया। सबको याक्षी की लिखी हुई कविताएँ व नज्म बहुत पसन्द आई, वो कहती की उन्होंने मेरा हौंसला बढ़ाया और बारहवीं कक्षा में ही मैंने नज्म की दो किताबें लिखी हैं। आरजू तेरी है प्रथम और आरजू तेरी है 2, तीसरी किताब लिखना शुरू कर दिया है। आप भी याक्षी यश की कविता अनेक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सुन सकते हैं Spotfy, Apple Music, Gana Music आदि पर उपलब्ध है।
 

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