'कहो न प्यार है' के गीतकार विजय अकेला ने किया इब्राहिम अश्क को यूं याद-'क्यूं मचलता है मन / न तुम जानो न हम'

जानेमाने फिल्म गीतकार इब्राहिम अश्क के निधन ने बॉलीवुड और मुशायरों से एक बेहतरीन शख्स गंवा दिया। उनके निधन पर फिल्म 'कहो न प्यार है' के साथी गीतकार विजय अकेला ने उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि देते हुए याद किया है। बता दें कि 'कहो न प्यार है' में दोनों ने ही गीत लिखे थे।

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2022 4:19 AM IST / Updated: Jan 19 2022, 09:50 AM IST

मुंबई.जानेमाने फिल्म गीतकार इब्राहिम अश्क के निधन ने बॉलीवुड और मुशायरों में एक शून्य पैदा कर दिया है। उनके निधन पर फिल्म 'कहो न प्यार है' के साथी गीतकार विजय अकेला ने उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि देते हुए याद किया है। उन्होंने लिखा-

"आज जब इब्राहिम अश्क को कॉल किया, तो उनका caller tune पूरा बजा-क्यूं चलती है पवन/क्यूं झूमे है गगन/क्यूं मचलता है मन/ न तुम जानो न हम...फोन किसी ने नहीं उठाया। कल इब्राहिम अश्क भी Covid से गुज़र गए और आज मीरा रोड के एक क़ब्रिस्तान में इन्हें सुपुर्दे ख़ाक कर दिया जाएगा(बता दें कि सोमवार को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया)। 

Latest Videos

कहो न प्यार है’ में लकी अली (lucky ali) ने दो गीत गाए थे। एक मेरा लिखा ‘इक पल का जीना / फिर तो है जाना’ और एक इब्राहिम अश्क का लिखा गाना ‘क्यूं चलती है पवन’। संगीत राजेश रोशन (rajesh roshan) का था । दोनों गीतों का अन्दाज़ जुदा-जुदा था, मगर मक़बूलियत एक समान थी। ये बात अलग है कि बाद में ‘इक पल का जीना’ ऋतिक रोशन के फैन्स का सिग्नेचर स्टेप (signature step) बन गया, जो आज भी क़ायम है।

मैं 25वीं बार फिल्म देख रहा था और वे पहली बार
हम दोनों को प्रख्यात संगीतकार राजेश रोशन साहब ने ही मिलवाया था। क्या दिन थे वे भी! मैं हरेक इंसान को जो अनजान भी क्यूं न हो 'कहो न प्यार है' का कैसेड, सीडी भेंट कर रहा था या इस फिल्म की टिकेट बांट रहा था। फिल्म 12वें हफ़्ते में प्रवेश कर चुकी थी और जब यूं ही कहीं किसी मोड़ पर इब्राहिम अश्क से मुलाक़ात हुई, जब मैंने पाया कि इन्होंने ‘कहो ना प्यार है' अब तक नहीं देखी है, तो मैंने एक टिकट इनको भी दिया। वो इस फ़िल्म को पहली बार देख रहे थे और मैं 25वीं बार। इसके अलावा हमने  फिल्म कृष, एलबम-कहना तो है, जैसी कुछ और फिल्म्स और एलबम्स में भी साथ-साथ गीत लिखे थे। हम लोगों ने कई बार एक-दूसरे को कुछ लाइन्स भी सजेस्ट की थीं। 

पहले अक्सर अबुधाबी एयरपोर्ट पर या यहां मुम्बई में मिल्लत नगर वाले जोगेश्वर्स पार्क (jogger's park) में मिल जाते थे । फिर लोखंडवाला के बारिस्ता कैफे हाउस में फ़िल्म गीतकारों की गोष्ठियों में मिलने लगे। बाद में फिर मुशायरों ही में मुलाक़ातें होने लगीं। वे मीरा रोड जो शिफ्ट हो गए थे।  हमने साथ-साथ कई मुशायरों में शिरकत की थी। आख़िरी साथ-साथ का मुशायरा रंग शारदा वाला ‘जश्ने साहिर’ था जो 8 मार्च 2020 वाला और जिसकी निज़ामत मैंने ही की थी। वो भी मेरी ही तरह साहिर के शैदायी थे। मैंने उनको अपनी शायरी की किताब ‘लश्कर’ गिफ्ट  की थी, तो उन्होंने मुझे अपनी शायरी की किताब ‘आसमाने-ग़ज़ल’भेंट की थी। मेरे घर भी एक और ‘जश्ने साहिर’के मौक़े पर तशरीफ़ लाए थे। और कल मीरा रोड में गुज़र गए। आज जब इब्राहिम अश्क को किया किया, तो तो उनका कॉलर ट्यून पूरा बजा-क्यूं चलती है पवन / क्यूं झूमे है गगन / क्यूं मचलता है मन / न तुम जानो न हम'... फोन किसी ने नहीं उठाया। 

(मशहूर फिल्म गीतकार विजय अकेला ने ये पंक्तियां asianetnews हिंदी को शेयर की हैं)

यह भी पढ़ें
Ibrahim Ashk Death: कोरोना पीड़ित 70 साल के मशहूर गीतकार का निधन, किया गया सुपुर्द-ए-खाक

Share this article
click me!

Latest Videos

Bulldozer Action पर Asaduddin Owaisi ने BJP को जमकर धोया
कार से हो सकता हैं कैंसर! 99% गाड़ियों में है खतरा
Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
नक्सली सोच से लेकर भ्रष्टाचार के जन्मदाता तक, PM Modi ने जम्मू में कांग्रेस को जमकर सुनाया
दिल्ली सरकार की नई कैबिनेट: कौन हैं वो 5 मंत्री जो आतिशी के साथ लेंगे शपथ